परियोजना की पृष्ठभूमि और राजनीतिक बहस जबलपुर में बन रहा प्रदेश का सबसे बड़ा फ्लाईओवर इन दिनों विकास से ज्यादा विवाद का कारण बनता जा रहा है। एक ओर जहां भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) इसे जनता की सुविधा के लिए बनाई जा रही ऐतिहासिक परियोजना बता रही है, वहीं दूसरी ओर कांग्रेस इस पर श्रेय लेने और कार्यप्रणाली को लेकर सवाल खड़े कर रही है।
लेकिन असली सवाल यह है — क्या यह फ्लाईओवर वाकई जनता की समस्याओं का समाधान करेगा या यह केवल राजनीतिक श्रेय की लड़ाई में एक और मोहरा बनकर रह जाएगा?
लागत में भारी बढ़ोतरी, तकनीकी विशेषताएं
मदनमहल से दमोहनाका के बीच लगभग 5.9 किलोमीटर लंबे इस एलिवेटेड कॉरिडोर की अनुमानित लागत शुरुआत में 758.5 करोड़ रुपये तय की गई थी, लेकिन अब यह लागत लगभग 45% बढ़कर 1100 करोड़ रुपये तक पहुंच गई है। इस परियोजना में आधुनिक तकनीकों जैसे एक्स्ट्राडोसेड ब्रिज, रेल ओवर ब्रिज और इंटरचेंज की सुविधा शामिल है।
निर्माण प्रगति और यातायात आंकड़े
निर्माण कार्य वर्ष 2021 में शुरू हुआ था और अब भी यह पूरी तरह से पूर्ण नहीं हुआ है। कुल योजना के अनुसार, इस फ्लाईओवर पर प्रतिदिन 1.5 लाख से अधिक वाहन गुजर सकेंगे और शहर के पांच प्रमुख ट्रैफिक पॉइंट्स पर जाम की समस्या लगभग समाप्त हो जाएगी।
सुरक्षा मानकों पर सवाल और दुर्घटनाएं
इस फ्लाईओवर का उद्देश्य शहर के पुराने और भीड़भाड़ वाले इलाकों में ट्रैफिक की समस्या से निजात दिलाना है। खासकर रेलवे क्रॉसिंग और संकरी सड़कों से जूझते जबलपुरवासियों को राहत मिल सकती है। लेकिन निर्माण कार्य के दौरान सुरक्षा मानकों की अनदेखी पर सवाल उठते रहे हैं। अक्टूबर 2023 में हुई एक घटना में एक मजदूर की मौत हो गई थी और छह अन्य घायल हुए थे।
भाजपा का पक्ष:
विकास बनाम श्रेय भाजपा का कहना है कि यह फ्लाईओवर सांसद और मंत्री राकेश सिंह के प्रयासों से स्वीकृत हुआ और जबलपुर के विकास में यह मील का पत्थर साबित होगा। भाजपा जिला अध्यक्ष रत्नेश सोनकर ने कहा कि भाजपा के जनप्रतिनिधि श्रेय नहीं, बल्कि जनता की सुविधा के लिए काम करते हैं।
भाजपा के अनुसार, राकेश सिंह के प्रयासों से जबलपुर को पिछले तीन वर्षों में लगभग 3200 करोड़ रुपये के बजट की सौगात मिली है, जिसमें आईटी पार्क, डुमना एयरपोर्ट का विस्तार, साइंस सेंटर और जियो पार्क जैसी परियोजनाएं शामिल हैं।
कांग्रेस का आरोप:
पारदर्शिता और देरी पर सवाल वहीं कांग्रेस का आरोप है कि भाजपा केवल उद्घाटन और फीता काटने की राजनीति कर रही है। उनका कहना है कि बजट में की गई बढ़ोतरी और निर्माण कार्य में पारदर्शिता का अभाव है। कांग्रेस ने यह भी कहा कि 18 माह की अपनी सरकार के दौरान भाजपा ने कोई बड़ा काम नहीं किया, जबकि आज उनके द्वारा कराए गए कार्यों का श्रेय भाजपा लेना चाहती है।
जनता की प्रतिक्रिया: सुविधा कब तक?
जनता की नजरों में यह परियोजना तब सफल मानी जाएगी जब इसका निर्माण समय पर, सुरक्षित और पारदर्शी तरीके से पूरा होगा। फिलहाल नागरिकों को निर्माण के कारण हो रही असुविधाओं और मार्गों पर डायवर्जन की समस्याओं से जूझना पड़ रहा है।
जबलपुर जैसे पुराने शहर में ट्रैफिक की समस्या आम है और अगर यह फ्लाईओवर उस समस्या का हल बनता है तो निश्चित रूप से यह शहर के लिए एक बड़ी उपलब्धि होगी। लेकिन अगर यह केवल उद्घाटन भाषणों और राजनीतिक श्रेय तक सीमित रह गया तो जनता इसे एक और अधूरी उम्मीद के रूप में देखेगी।
मुद्दा ‘किसने बनवाया’ नहीं, ‘कब तक राहत’ है जनता अब नेताओं से यह नहीं पूछ रही कि किसने बनवाया, बल्कि यह जानना चाहती है कि कब तक उन्हें राहत मिलेगी। जबलपुर को वास्तविक सुविधा कब मिलेगी, यही अब सबसे बड़ा प्रश्न है।