आधार फ्रॉड से MP पुलिस भर्ती में सेंध: कांस्टेबल परीक्षा में बड़ा फर्जीवाड़ा उजागर

बायोमेट्रिक बदल कर परीक्षा में बैठाए सॉल्वर, 30 संदिग्ध उम्मीदवार रडार पर; अब तक 16 FIR दर्ज

जबलपुर, 4 जून, 2025: मध्य प्रदेश पुलिस कांस्टेबल भर्ती परीक्षा-2023 पर अब फर्जीवाड़े का काला साया गहरा गया है। उन हजारों युवाओं के सपनों पर चोट पहुंची है, जिन्होंने ईमानदारी से परीक्षा की तैयारी की थी। इस बड़े घोटाले में कुछ शातिर उम्मीदवारों ने बायोमेट्रिक डेटा और आधार कार्ड पर फोटो बदलकर ‘सॉल्वर’ (दूसरों की जगह परीक्षा देने वाले) बिठाए, जिससे मेहनती उम्मीदवारों का भविष्य अंधकारमय हो गया है। 6,448 चयनित उम्मीदवारों में से अब तक 30 संदिग्ध पाए गए हैं, जिससे इस गंभीर धोखाधड़ी की परतें खुलने लगी हैं।


कैसे रचा गया फर्जीवाड़े का ये शातिर खेल?

इस सनसनीखेज धोखाधड़ी में संगठित गिरोह सक्रिय थे। इन गिरोहों ने उम्मीदवारों से लाखों रुपये लेकर लिखित परीक्षा में सॉल्वर बिठाने का इंतजाम किया। तरीका बेहद शातिर था:

  1. पहला चरण: परीक्षा से पहले, उम्मीदवार अपने आधार कार्ड पर अपनी फोटो और उंगलियों के निशान (फिंगरप्रिंट) बदलवा लेते थे, ताकि सॉल्वर उनकी जगह आसानी से लिखित परीक्षा दे सकें।
  2. दूसरा चरण: जब सॉल्वर लिखित परीक्षा पास कर लेते थे, तो असली उम्मीदवार अपने आधार कार्ड पर फिर से अपनी असली फोटो लगवा लेते थे और शारीरिक परीक्षा में शामिल हो जाते थे। इस तरह वे बिना खुद परीक्षा दिए, मेरिट लिस्ट में आ जाते थे।

यह सोचकर ही दिल दुखता है कि कितनी मेहनत से तैयारी करने वाले छात्र इस तरह के धोखे का शिकार हुए होंगे।


जांच का दायरा बढ़ा, कई जिलों में हलचल

फिलहाल, जांच का केंद्र मुरैना, शिवपुरी, श्योपुर, अलीराजपुर, इंदौर और शहडोल जैसे जिले हैं, जहाँ इस धोखाधड़ी के तार जुड़े होने की आशंका है। इस मामले में अब तक 16 एफआईआर दर्ज की जा चुकी हैं, और 14 संदिग्ध आधार कार्डों की गहन जांच चल रही है। श्योपुर पुलिस ने इस मामले में सुरेंद्र नामक एक आरोपी को गिरफ्तार किया है, जिसने खुलासा किया है कि उसने करीब 100 उम्मीदवारों के आधार कार्ड में बदलाव किया था। वहीं, बिहार से एक सॉल्वर रंजय कुमार को भी गिरफ्तार किया गया है।

पुलिस अब सभी चयनित उम्मीदवारों की दोबारा जांच कर रही है, जिससे उम्मीद है कि इस बड़े फर्जीवाड़े में शामिल कई और चेहरे बेनकाब होंगे। यह मामला सिर्फ एक परीक्षा घोटाले का नहीं, बल्कि उन हजारों उम्मीदों के टूटने का है, जो इन युवाओं ने अपने भविष्य के लिए पाल रखी थीं।


एक पारदर्शी व्यवस्था की दरकार

इस घटना ने एक बार फिर हमारी भर्ती प्रक्रियाओं की पारदर्शिता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। यह उन ईमानदार और मेहनती युवाओं के लिए एक दर्दनाक सबक है, जो सीमित संसाधनों के बावजूद अपने दम पर कुछ कर गुजरने का सपना देखते हैं। पुलिस प्रशासन का यह प्रयास सराहनीय है कि वे इस जालसाजी के हर पहलू को उजागर कर रहे हैं। उम्मीद है कि इस जांच से न केवल दोषी पकड़े जाएंगे, बल्कि भविष्य में ऐसी धोखाधड़ी को रोकने के लिए पुख्ता कदम उठाए जाएंगे, ताकि हर मेहनती युवा को उसका हक मिल सके और उसका भविष्य सुरक्षित रह सके।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *