शहर एक, कानून दो? जबलपुर में ‘धार्मिक दोहरापन’ पर फूटा हिंदू संगठन का गुस्सा, ‘द तथ्य’ के स्टिंग ऑपरेशन का दिखा असर| One city, two laws? Hindu organization’s anger erupted over ‘religious duplicity’ in jabalpur, ‘The Fact’ sting operation’s effect seen

जबलपुर, मध्य प्रदेश। जबलपुर में धार्मिक आधार पर कानून के कथित दोहरेपन को लेकर बड़ा बवाल खड़ा हो गया है। हिंदू टाइगर्स संगठन ने शुक्रवार को जबलपुर एसपी कार्यालय में एक तीखा ज्ञापन सौंपा, जिसमें स्पष्ट चेतावनी दी गई कि “धर्म के नाम पर दोहरा कानून नहीं चलेगा।” संगठन ने सीधे शब्दों में कहा, “या तो कार्रवाई करो या हम सड़कों पर उतरेंगे।”
इस पूरे मामले को उजागर करने में ‘द तथ्य’ मीडिया की टीम की भूमिका अहम रही है। उनके स्टिंग ऑपरेशन के बाद अब बाजार में इसका असर दिखना शुरू हो गया है; रात में खुली रहने वाली दुकानें बंद होने लगी हैं और पुलिस की सक्रियता भी बढ़ी है।


हिंदू इलाकों में सख्ती, मुस्लिम बहुल क्षेत्रों को छूट का आरोप


हिंदू टाइगर्स के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश पटेल के नेतृत्व में संगठन के सदस्यों ने गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि जबलपुर में मुस्लिम बहुल इलाकों में पुलिस रात भर दुकानें चलने देती है, चाहे वे मांस की हों, चाय की हों या किसी और गतिविधि से जुड़ी हों। वहीं, हिंदू इलाकों में रात 11:30 बजे ही पुलिस आकर दुकानें बंद करवा देती है, और कई बार तो व्यापारियों के साथ बदसलूकी तक होती है।


त्योहारों पर भी दोहरापन: ‘बकरीद में छूट, मंदिरों के पास रोज़ चेकिंग क्यों?’


ज्ञापन में संगठन ने त्योहारों पर भी लागू हो रहे इस कथित दोहरेपन पर सवाल उठाया। उन्होंने पूछा कि बकरीद के मौके पर मुस्लिम इलाकों में पुलिस कहीं नजर नहीं आई, न कोई चेकिंग हुई और न ही कोई निगरानी। इसके विपरीत, मंदिरों या हिंदू इलाकों में हर रोज़ चालान, धमकी और सख्ती दिखाई जाती है। संगठन ने सिंधी कैंप से लेकर राजा चौक और मदार टेकरी चौकी क्षेत्र तक एकतरफा रवैया अपनाने का आरोप लगाया।


‘हम शांत हैं, पर कमजोर नहीं’: 15 दिन का अल्टीमेटम


हिंदू टाइगर्स ने पुलिस को 15 दिन का अल्टीमेटम दिया है। संगठन का कहना है कि अगर इन 15 दिनों में हिंदू और मुस्लिम क्षेत्रों के बीच की कार्रवाई में यह असमानता खत्म नहीं हुई, तो वे रद्दी चौकी के सामने अनिश्चितकालीन अनशन पर बैठेंगे। संगठन ने स्पष्ट किया कि इस बार केवल ज्ञापन नहीं होगा, बल्कि सीधा जनआंदोलन होगा।
‘द तथ्य’ का स्टिंग: रात 1:40 बजे पुलिस की सहमति से बिक रहा था गुटखा-मांस
इस पूरे मुद्दे पर ‘द तथ्य’ मीडिया ने एक महत्वपूर्ण स्टिंग ऑपरेशन किया। गुरुवार और शुक्रवार की दरमियानी रात करीब 1:40 बजे, ‘द तथ्य’ की टीम ने मुस्लिम बहुल इलाकों में जाकर वास्तविक स्थिति रिकॉर्ड की। स्टिंग में यह स्पष्ट रूप से देखा गया कि न सिर्फ दुकानें खुली थीं, बल्कि पुलिस की 100 नंबर की गाड़ी भी पास में खड़ी थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हो रही थी। राजश्री गुटखा, अगरबत्ती, मांस और अन्य चीजें खुलेआम बिक रही थीं। चौंकाने वाली बात यह है कि पुलिसकर्मी खुद कैमरे पर यह कह रहे थे कि यहां लोग इकट्ठा होते हैं और कई संदिग्ध भी होते हैं, लेकिन फिर भी कोई जांच-पड़ताल नहीं होती।


‘द तथ्य’ के स्टिंग का असर: बाजारों में दिखने लगी सख्ती


‘द तथ्य’ की टीम द्वारा की गई इस गहन पड़ताल और स्टिंग ऑपरेशन के बाद, अब जबलपुर के बाजारों में इसका असर दिखना शुरू हो गया है। सूत्रों के अनुसार, पहले जो दुकानें देर रात तक खुली रहती थीं, अब उन पर कार्रवाई हो रही है और वे बंद होने लगी हैं। पुलिस की उपस्थिति और सक्रियता भी बढ़ी है, जो ‘द तथ्य’ द्वारा उठाए गए मुद्दे की गंभीरता को दर्शाता है।


‘क्या हिंदू होना ही अब अपराध है?’ – नीतीश पटेल


नीतीश पटेल ने सवाल किया, “हम पुलिस से पूछना चाहते हैं, क्या इस देश में हिंदू होना अब गुनाह हो गया है? हमारी दुकानें जल्दी बंद, हमारे इलाकों में चेकिंग, हमारे त्योहारों पर सख्ती और दूसरों के लिए खुली छूट, ये कौन सा संविधान है, कौन सी नीति है?” उन्होंने चेतावनी दी कि अगर यह सिलसिला नहीं थमा तो हिंदू समाज को मजबूर होकर सड़कों पर उतरना पड़ेगा।


प्रशासन के सामने चुनौती: फैसला या जनाक्रोश


यह पूरा मामला अब जबलपुर प्रशासन के सामने एक बड़ी चुनौती बन गया है। एक तरफ हिंदू संगठन का बढ़ता आक्रोश है, दूसरी तरफ ‘द तथ्य’ मीडिया का स्टिंग ऑपरेशन है, और तीसरी तरफ जनता के बीच लगातार बढ़ती चर्चा। सवाल यह है कि क्या पुलिस अब भी चुप रहेगी या दोनों समुदायों के लिए एक समान नीति लागू करेगी। प्रशासन के पास अब केवल 15 दिन का वक्त है, उसके बाद यह मुद्दा सिर्फ ज्ञापन का नहीं रहेगा, बल्कि एक बड़े आंदोलन और जन-जागरण का रूप ले सकता है।
इस पूरे मामले का स्टिंग वीडियो, संगठन का बयान और ग्राउंड कवरेज जल्द ही ‘द तथ्य मीडिया’ के डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर उपलब्ध होगा।
पुलिस अब सक्रिय होकर काम कर रही है, यह देखना बाकी है कि क्या यह सक्रियता स्थाई होगी और दोनों समुदायों के लिए समान रूप से लागू होगी।

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