जबलपुर, मध्य प्रदेश: एक तरफ सरकार जल संरक्षण के लिए बड़े-बड़े कदम उठा रही है, वहीं जबलपुर में एक प्राचीन और ऐतिहासिक तालाब भू-माफियाओं के चंगुल में फंसता दिख रहा है। कलेक्टर जनसुनवाई में सामने आई एक शिकायत के अनुसार, अमखेरा स्थित गोंडवाना काल के इस तालाब को पाटकर अवैध प्लाटिंग की जा रही है, जिस पर तत्काल कार्रवाई की मांग उठी है।

राजस्व रिकॉर्ड में 40 एकड़ का तालाब, अब अवैध कब्ज़े की भेंट चढ़ रहा
शिकायत में बताया गया है कि अमखेरा का खसरा नंबर 269 (पुराना 186), जो लगभग 40 एकड़ का है, शासकीय राजस्व रिकॉर्ड में 1909-10 से ही ‘तालाब’ के रूप में दर्ज है। मास्टर प्लान 2021 में भी इसे ‘जल संवर्धन तालाब’ दर्शाया गया है। हालांकि, अब कुछ भू-माफिया इस तालाब का पानी सुखाकर और मिट्टी भरकर अवैध प्लाटिंग कर रहे हैं।
प्रशासन की लापरवाही: खुली आँखों से चल रहा अवैध धंधा?

यह सबसे चौंकाने वाला पहलू है कि अवैध गतिविधियां खुलेआम चल रही हैं, लेकिन प्रशासन की ओर से कोई ठोस कार्रवाई नहीं दिख रही। अवैध प्लाटों की धड़ल्ले से रजिस्ट्रियां हो रही हैं, नगर निगम से नक्शे पास हो रहे हैं और बिजली कनेक्शन तक मिल रहे हैं। यह सीधे तौर पर प्रशासन के विभिन्न विभागों की लापरवाही या मिलीभगत पर गंभीर सवाल खड़े करता है। शिकायत में डॉ. सत्येन्द्र सिंह यादव, अरविंद सिंह यादव, अखिलेश जैन और वीरेश्वर सिंह यादव जैसे कुछ व्यक्तियों पर तालाब को अवैध रूप से पाटकर प्लाटिंग करने का आरोप है, लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों का ध्यान इस ओर नहीं जा रहा है।
विधानसभा में उठ चुका है मुद्दा, हाईकोर्ट में भी लंबित याचिकाएं
अमखेरा तालाब को बचाने का यह मुद्दा नया नहीं है। इससे पहले क्षेत्रीय विधायक द्वारा विधानसभा में भी यह प्रश्न उठाया जा चुका है। साथ ही, मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय में भी तालाब को बचाने के संबंध में कुछ याचिकाएं दायर की गई हैं। इन सबके बावजूद, अवैध गतिविधियाँ जारी हैं, जो प्रशासनिक ढिलाई की ओर स्पष्ट इशारा करती हैं।
सुप्रीम कोर्ट और एनजीटी के आदेशों का हो रहा उल्लंघन
शिकायतकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट और एनजीटी के उन निर्णयों का हवाला दिया है, जिनमें स्पष्ट कहा गया है कि तालाब की भूमि का मद परिवर्तन नहीं किया जा सकता और तालाब हमेशा तालाब ही रहेगा। पिंडरई तालाब पर हालिया कार्रवाई का उदाहरण देते हुए, कलेक्टर से भी अमखेरा तालाब पर त्वरित और कड़ी कार्रवाई की मांग की गई है। यह दर्शाता है कि नियम मौजूद हैं, लेकिन उनका पालन सुनिश्चित कराने में कहीं न कहीं कमी है।
संयुक्त जांच दल और रजिस्ट्री पर रोक की मांग, जनता से भी अपील
क्षेत्रीयजनों ने कलेक्टर से एक संयुक्त जांच दल गठित कर मामले की गहन जांच कराने, खसरा नंबर 269 के सभी बटांकों की रजिस्ट्री पर तत्काल रोक लगाने और दोषियों के खिलाफ कड़ी वैधानिक कार्रवाई करने की मांग की है। यह एक गंभीर पर्यावरणीय और कानूनी मुद्दा है जिस पर सभी का ध्यान जाना आवश्यक है।