जबलपुर, 18 जून, 2025: क्या जबलपुर की साँसें वाकई दम घोंट रही हैं, या फिर ‘हवा’ को सुधारने के नाम पर ही कुछ ‘जेबें’ गर्म की जा रही हैं? यह सवाल आज शहर के कोने-कोने में गूँज रहा है, जब नेता प्रतिपक्ष अमरीश मिश्रा और उनके पार्षदों के दल ने नगर निगम पर वायु गुणवत्ता सुधारने के नाम पर ₹1.75 करोड़ के संदिग्ध भुगतान का सनसनीखेज आरोप लगाते हुए आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (EOW) का दरवाजा खटखटाया। यह सिर्फ पैसों का हिसाब नहीं, बल्कि उस भरोसे का हिसाब है, जो ‘सुशासन’ के नाम पर जनता ने अपनी चुनी हुई संस्थाओं पर रखा था।
‘नगद’ की हवा: जब ‘सेवा’ का वादा ‘कमाई’ का ज़रिया बना
अमरीश मिश्रा ने EOW कार्यालय से बाहर आते ही जबलपुर को “भ्रष्टाचार की जननी” और नगर निगम को एक “बड़ी भ्रष्टाचार एजेंसी” करार दिया। उनके आरोप किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं: नगर निगम, जो शहर को बेहतर बनाने का दावा करता है, अब ₹2 करोड़ 88 लाख के एयर क्वालिटी इक्विपमेंट लगाने का सपना दिखा रहा है। लेकिन, विडंबना यह है कि इस ‘पुण्य’ काम के लिए पौने दो करोड़ रुपये (लगभग ₹1.75 करोड़) उन ‘महान’ एजेंसियों और सलाहकारों को पहले ही थमा दिए गए हैं, जिनके बारे में मिश्रा ने तल्ख़ टिप्पणी की कि वे “अपने काम की एबीसी भी नहीं जानते”। जनता पूछ रही है, क्या ये सलाहकार हवा साफ करने आए थे, या सिर्फ पैसों को ‘साफ’ करने?
जबलपुर की नैसर्गिक ‘शुद्धता’ बनाम ‘घोटाले’ की बदबू: जब प्रकृति भी बनी गवाह
आश्चर्य की बात यह है कि ये आरोप उस शहर में लग रहे हैं, जहाँ की हवा को प्रकृति ने खुद वरदान दिया है। मिश्रा ने भावुकता से कहा, “मां नर्मदा के आंचल में बसा, हरी भरी वादियां, हरियाली से भरपूर,” जबलपुर की वायु गुणवत्ता अमूमन बेहद स्वस्थप्रद रहती है। तो फिर, करोड़ों रुपये ‘हवा सुधारने’ पर बहाने का यह ढोंग क्यों? विपक्ष का सीधा आरोप है कि यह पूरी परियोजना केवल ‘अधिकारियों की जेबें गर्म करने’, ‘भ्रष्टाचार करने’ और ‘अपने लोगों को लाभ पहुंचाने’ के लिए बुनी गई एक शातिर चाल है। क्या अब शहर की हवा में सिर्फ प्रदूषण नहीं, बल्कि घोटाले की बदबू भी घुलेगी?
न्याय की आस: EOW की दहलीज पर ‘दूध का दूध, पानी का पानी’ की गुहार
इस गंभीर आरोप के साथ, अमरीश मिश्रा और उनके पार्षद दल ने आज एसपी, EOW को उन तमाम दस्तावेजों को सौंप दिया है, जो उनके दावों की पुष्टि करते हैं। उनकी एक ही मांग है – इस पूरे ‘खेल’ की सिलसिलेवार और निष्पक्ष जांच हो, ताकि हर पर्दा उठे और हर चेहरा बेनकाब हो।
मिश्रा ने मीडिया के सामने EOW से भावुक अपील की कि वे इस मामले को तत्काल मध्यप्रदेश में EOW मुख्यालय (भोपाल) तक पहुंचाएं। उनकी आवाज में दृढ़ता थी जब उन्होंने कहा, “जब मुख्यालय से कोई बड़ा अधिकारी आएगा, तो वह दूध का दूध और पानी का पानी करेगा।” यह टिप्पणी सिस्टम की अंदरूनी कमजोरियों और न्याय पाने के लिए बाहरी हस्तक्षेप की उम्मीद को दर्शाती है।
EOW का ‘सावधानी’ भरा रुख: क्या ‘जांच’ सिर्फ प्रक्रिया बनकर रह जाएगी?
शिकायत मिलने के बाद, EOW के एसपी ने मीडिया को बताया कि उन्हें अमरीश मिश्रा और उनके दल से नगर निगम से संबंधित शिकायत मिली है। उन्होंने कहा कि EOW अपनी स्थापित प्रक्रिया के तहत पहले यह देखेगा कि शिकायत “सत्यापन योग्य” और “जांच योग्य” है या नहीं। यदि शिकायत में तथ्य पाए जाते हैं, तो आगे की कानूनी कार्रवाई की जाएगी। यह ‘प्रक्रिया’ कितनी गहरी जाएगी और क्या वाकई यह ‘हवा’ के पीछे के राज़ खोल पाएगी, यह देखना अभी बाकी है। जनता की निगाहें अब EOW पर टिकी हैं।
जब जनता का भरोसा ही ‘प्रदूषित’ हो जाए…
यह केवल एक प्रशासनिक अनियमितता का मामला नहीं है। यह जनता के उस भरोसे का हनन है, जो वे अपने शहर के विकास और अपने स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए सरकारी तंत्र पर करते हैं। यदि ‘हवा’ को भी ‘बिकाऊ’ बना दिया जाए, तो फिर किस पर विश्वास करें? जबलपुर की जनता अब टकटकी लगाए बैठी है – क्या इस जांच से उनके साथ हुए इस कथित ‘खेल’ का सच सामने आएगा और दोषी सलाखों के पीछे होंगे? या यह भी सिर्फ एक और फाइल बनकर रह जाएगा, जहाँ ‘हवा’ के साथ-साथ ‘सत्य’ भी दम तोड़ देगा?