आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ से पहले RSS ने फिर छेड़ी बहस, कांग्रेस से माफी मांगने को भी कहा
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) ने भारतीय संविधान की प्रस्तावना से ‘समाजवादी’ और ‘धर्मनिरपेक्ष’ इन दो शब्दों को हटाने की पुरजोर मांग की है। RSS के सह सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले ने एक कार्यक्रम के दौरान यह मुद्दा उठाया, जिसने एक नई बहस छेड़ दी है।
क्या है ये पूरा मामला?
यह मामला संविधान की प्रस्तावना से जुड़े दो शब्दों ‘समाजवादी’ और ‘धर्मनिरपेक्ष’ को लेकर है। RSS का कहना है कि इन शब्दों को 50 साल पहले, देश में लगाए गए आपातकाल (Emergency) के दौरान तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने जबरन संविधान में जोड़ा था। RSS का मानना है कि इन शब्दों को हटा देना चाहिए।
दत्तात्रेय होसबोले ने अपने बयान में आपातकाल की शुरुआत (25 जून, 1975) की तारीख को भी याद किया और इस अवधि के दौरान हुए अत्याचारों का जिक्र किया। उन्होंने बताया कि आपातकाल के दौरान हजारों लोगों को जेल में डाल दिया गया था, उन्हें शारीरिक और मानसिक यातनाएं दी गईं, और न्यायपालिका व मीडिया की स्वतंत्रता पर भी अंकुश लगा दिया गया था। होसबोले ने बड़े पैमाने पर हुई जबरन नसबंदी जैसी अमानवीय घटनाओं का भी उल्लेख किया।
RSS नेता ने उन लोगों की कड़ी आलोचना की जो आपातकाल के इन अलोकतांत्रिक कृत्यों के लिए जिम्मेदार थे, लेकिन अब तक उन्होंने कोई माफी नहीं मांगी है और ‘संविधान की प्रति लेकर घूम रहे हैं’। उन्होंने विशेष रूप से वर्तमान कांग्रेस पार्टी के सदस्यों से आग्रह किया है कि वे अपने “पूर्वजों” द्वारा किए गए उन गलत कार्यों के लिए देश से सार्वजनिक रूप से क्षमा याचना करें।
यह मांग ऐसे समय में सामने आई है जब आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ भी नजदीक है, जिससे इस मुद्दे पर राजनीतिक गलियारों में गरमागरम बहस छिड़ गई है।