जबलपुर में साइबर ठगी का नया पैंतरा: ‘अस्पताल में भर्ती परिजन’ का झांसा देकर दुकानदार से लाखों लूटे, अपराधी सीसीटीवी में कैद!

साइबर अपराधियों ने अब जबलपुर में इंसानियत और भरोसे का फायदा उठाते हुए ठगी का एक नया और बेहद शातिर जाल बिछाया है। ‘अस्पताल में भर्ती परिजन’ की झूठी इमरजेंसी का भावनात्मक झांसा देकर एक दुकानदार को अपना शिकार बनाया गया, जिससे वह लगभग ₹1.13 लाख गंवा बैठा। यह सुनियोजित बैंक धोखाधड़ी इतनी चालाकी से की गई कि जालसाजों ने पीड़ित के खाते में धोखाधड़ी वाले स्रोतों से पैसे स्थानांतरित किए और जब सच्चाई सामने आई, तो पीड़ित का बैंक खाता ही रोक दिया गया।
कैसे बुना गया विश्वास का ये जाल? इमरजेंसी के नाम पर लाखों की ठगी

इस धोखाधड़ी की शुरुआत 30 मई, 2025 की रात को हुई, जब एक अनजान शख्स अपनी काले रंग की स्कॉर्पियो से घड़ा, गंगा का चौक स्थित पंकज सोनी की “श्री कंप्यूटर” दुकान पर पहुँचा। चेहरे पर चिंता और आवाज़ में urgency लिए उस शख्स ने बताया कि उसके पिता गंभीर रूप से बीमार हैं और अस्पताल में भर्ती हैं, उन्हें तत्काल भारी नकद की आवश्यकता है क्योंकि उसके एटीएम की दैनिक सीमा खत्म हो चुकी है। मदद के इस नाटकीय अनुरोध पर, पंकज सोनी ने मानवीय संवेदनाओं से प्रेरित होकर विश्वास कर लिया। जालसाज ने सोनी के खाते में पहले ₹25,000 और फिर ₹2,000 स्थानांतरित किए, और बदले में सोनी से नकद प्राप्त कर लिया।
अगली सुबह, अपराधियों ने अपने जाल को और कसते हुए एक और व्यक्ति को सोनी की दुकान भेजा। इस नए शख्स ने भी वही ‘अस्पताल की इमरजेंसी’ और ‘एटीएम लिमिट’ की कहानी दोहराई। इस बार उसने सोनी के खाते में ₹25,000 की दो और राशियाँ स्थानांतरित कीं, और सोनी ने एक बार फिर मदद की भावना से नकद उपलब्ध कराया। हैरत की बात तो तब हुई जब पंकज सोनी के साफ मना करने के बावजूद, जालसाजों ने धोखे से उसके खाते में अतिरिक्त ₹36,000 स्थानांतरित कर दिए। इस तरह, इन कई लेन-देनों के माध्यम से सोनी से कुल लगभग ₹1.13 लाख की बड़ी रकम ऐंठ ली गई।
धोखाधड़ी का खुलासा: खाता ब्लॉक, लाखों का चूना और बैंक का चौंकाने वाला सच
इस ठगी का पर्दाफाश उसी शाम हुआ जब पंकज सोनी ऑनलाइन भुगतान करने की कोशिश कर रहे थे। उन्हें यह देखकर सदमा लगा कि उनका बैंक खाता (एसबीआई और एचडीएफसी बैंक से संबंधित) अचानक रोक दिया गया है और उसमें एक बड़ी नकारात्मक शेष राशि (negative balance) दिख रही थी। बैंकों से संपर्क करने पर उन्हें जो सच्चाई पता चली, वह चौंकाने वाली थी: उनके खाते में जो पैसे आए थे, वे दरअसल धोखाधड़ी वाले स्रोतों से आए थे और बैंक ने उन संदिग्ध लेनदेन को रोक दिया था। सोनी ने यह भी बताया कि उन्हें इन बड़े हस्तांतरणों के लिए कोई सामान्य एसएमएस अलर्ट नहीं मिला, उन्होंने केवल अपने फोनपे या गूगल पे ऐप में ही इन राशियों को क्रेडिट होते देखा था, जिससे जालसाजों की तकनीकी समझ का भी पता चलता है।
cctv मे कैद हुआ सब
पीड़ित पंकज सोनी ने तुरंत स्थानीय पुलिस स्टेशन और साइबर सेल में शिकायत दर्ज कराई है। उन्होंने अपनी दुकान के सीसीटीवी फुटेज भी उपलब्ध कराए हैं, जिसमें जालसाज और काले रंग की नई मॉडल की स्कॉर्पियो (लाइसेंस प्लेट नंबर MP-13-ZT-2721) स्पष्ट रूप से दिखाई दे रही है। पुलिस ने मामले की गंभीरता को समझते हुए तेजी से जांच शुरू कर दी है और अपराधियों की तलाश जारी है।
साइबर ठगी का बढ़ता खतरा और आपकी सुरक्षा: पुलिस की अपील
यह घटना एक बार फिर दर्शाती है कि साइबर अपराधी लगातार नए और अधिक भावनात्मक तरीके ईजाद कर रहे हैं ताकि लोगों को ठगा जा सके। ‘अस्पताल में परिजन की गिरफ्तारी’, ‘सिम बंद होने की धमकी’, ‘बैंक अधिकारी बनकर कॉल’, या ‘लॉटरी/इनाम का लालच’ जैसे पुराने तरीके तो चल ही रहे हैं, अब मानवीय संवेदनाओं का भी दुरुपयोग किया जा रहा है।
जबलपुर पुलिस और साइबर सेल इन बढ़ते साइबर अपराधों से निपटने के लिए अथक प्रयास कर रहे हैं। वे लगातार जागरूकता अभियान चला रहे हैं और नागरिकों से अत्यधिक सतर्क रहने की अपील कर रहे हैं। पुलिस ने लोगों से आग्रह किया है कि:
- किसी भी अज्ञात लिंक पर क्लिक न करें।
- अपनी व्यक्तिगत या बैंक संबंधी गोपनीय जानकारी (जैसे OTP, PIN, पासवर्ड) किसी से भी, चाहे वह खुद को बैंक अधिकारी या सरकारी कर्मचारी बताए, साझा न करें।
- किसी भी संदिग्ध कॉल या मैसेज पर तुरंत साइबर सेल को सूचित करें।
- ऑनलाइन लेनदेन करते समय हमेशा स्रोत की पुष्टि करें।
पुलिस ने हाल ही में ऐसे कई ठगी गिरोहों का भंडाफोड़ कर आरोपियों को गिरफ्तार किया है, लेकिन इन जालसाजों से बचने का सबसे बड़ा हथियार आपकी अपनी सतर्कता और जागरूकता ही है।