एक ओर जहाँ जबलपुर नगर निगम स्वच्छता परियोजनाओं पर करोड़ों रुपये खर्च करने और शहर को स्वच्छ बनाने के बड़े-बड़े दावे कर रहा है, वहीं दूसरी ओर शांति नगर और ट्रांसपोर्ट नगर जैसे इलाकों की जमीनी हकीकत इन दावों की पोल खोल रही है। इन क्षेत्रों में नालियाँ कचरे और गंदगी से अटी पड़ी हैं, और कचरा उठाने वाली गाड़ियाँ भी नियमित रूप से नहीं पहुँचतीं, जिससे स्थानीय निवासी बदहाली और नारकीय जीवन जीने को मजबूर हैं।
न रोज़ सफाई, न नालियों की सुध: बारिश में बढ़ता बीमारियों का खतरा
निलेश कुमार अग्रवाल जैसे स्थानीय निवासियों का साफ कहना है कि नगर निगम के स्वच्छता के दावे सिर्फ कागजों तक सीमित हैं। उनके अनुसार, न तो कचरा साफ करने वाली गाड़ियाँ हर दिन आती हैं और न ही बारिश का मौसम शुरू होने से पहले नालियों की ठीक से सफाई की जाती है। इसका सीधा परिणाम यह होता है कि जब बारिश होती है, तो नालियों का सारा कचरा सड़कों पर बहने लगता है। इस स्थिति से गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं और बड़े पैमाने पर जल-भराव का खतरा बढ़ जाता है, जिससे लोगों का घर से निकलना भी मुश्किल हो जाता है।
गलियों में गंदगी का राज, निगम की स्वच्छता योजनाओं पर सवाल
शांति नगर और ट्रांसपोर्ट नगर की यह बदहाली नगर निगम के “स्वच्छता” के दावों पर कई गंभीर सवाल खड़े करती है। जब इस संबंध में सफाई कर्मचारियों से बात करने की कोशिश की जाती है, तो वे सीधे तौर पर आनाकानी करने लगते हैं, जो इस बात का स्पष्ट संकेत है कि कहीं न कहीं पूरी व्यवस्था में बड़ी खामियां हैं और जवाबदेही की कमी है। इन इलाकों की मौजूदा स्थिति साफ दर्शाती है कि नगर निगम को अपनी स्वच्छता योजनाओं को केवल फाइलों और विज्ञापनों तक ही सीमित नहीं रखना चाहिए, बल्कि उनका प्रभावी क्रियान्वयन भी सुनिश्चित करना होगा, ताकि उनका असर जमीन पर दिखे।
रहवासियों की सीधी मांग: कचरा हटाओ, नालियां साफ करो!
स्थानीय निवासियों ने अब नगर निगम प्रशासन से सीधी और स्पष्ट मांग की है कि स्वच्छता के नाम पर हो रहे दिखावे को बंद कर, योजनाओं को सचमुच धरातल पर उतारा जाए। उनकी प्रमुख मांगें हैं कि कचरा संग्रहण की व्यवस्था को नियमित किया जाए, सभी नालियों की तुरंत सफाई करवाई जाए, और इन क्षेत्रों में साफ-सफाई का एक स्थायी और प्रभावी समाधान निकाला जाए।
अब देखना यह होगा कि जबलपुर नगर निगम इन आक्रोशित आवाजों पर कितनी गंभीरता से ध्यान देता है। क्या वे शांति नगर और ट्रांसपोर्ट नगर में स्वच्छता की तस्वीर बदल पाएंगे, या फिर यहाँ के लोग गंदगी और बीमारी के गंभीर खतरे के बीच जीने को मजबूर रहेंगे? यह समय ही बताएगा कि निगम अपने दावों पर कितना खरा उतरता है।