PUBG की लत ने बना दिया अपंग, रेलवे ट्रैक पर गेम खेलते युवक का ट्रेन से कटा हाथ, ज़िंदगीभर का दर्द

ऑनलाइन गेमिंग की दुनिया में खोए एक युवक को ऐसी दर्दनाक कीमत चुकानी पड़ी, जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती। जबलपुर के घमापुर में PUBG (पबजी) गेम की लत ने एक 20 वर्षीय युवक का पूरा हाथ छीन लिया। वह रेलवे ट्रैक किनारे गेम खेलने में इतना मशगूल था कि उसे तेज़ रफ्तार ट्रेन के आने का एहसास तक नहीं हुआ। पलक झपकते ही एक भयावह हादसे ने उसकी ज़िंदगी हमेशा के लिए बदल दी, और अब उसे बिना हाथ के ही जीना होगा।

By Himanshu


खेलते-खेलते मौत से हुआ सामना: रेलवे ट्रैक पर गेमिंग का जानलेवा जुनून

यह दिल दहला देने वाली घटना जबलपुर के घमापुर थाना क्षेत्र में दो नंबर पुल के पास हुई। गर्मी की एक दोपहर, 20 वर्षीय यह युवक अपने दोस्तों के साथ रेलवे ट्रैक के बिल्कुल किनारे बैठकर लोकप्रिय ऑनलाइन बैटल गेम पबजी खेल रहा था। गेम में वह इस कदर डूबा हुआ था कि उसकी आँखें मोबाइल स्क्रीन पर गड़ी थीं और दिमाग वर्चुअल दुनिया में। उसे न तो पास आती ट्रेन के हॉर्न की आवाज़ सुनाई दी और न ही पटरियों के कंपन का एहसास हुआ, मानो वह किसी और ही दुनिया में खो गया हो।

जैसे ही एक तेज़ रफ्तार ट्रेन ज़ोरदार आवाज़ करते हुए गुज़री, युवक का दाहिना हाथ ट्रेन के बाहरी हिस्से से बुरी तरह टकरा गया। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, एक जोरदार टक्कर हुई और युवक ज़मीन पर गिर पड़ा, उसका हाथ पूरी तरह कुचल चुका था और शरीर से खून की धार बह रही थी।


हाथ बचाना नामुमकिन: मेडिकल कॉलेज में डॉक्टरों ने काटा हाथ

हादसे के बाद, आसपास मौजूद लोग और दोस्तों ने तुरंत उसके परिजनों को खबर की और आनन-फानन में उसे शहर के नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कॉलेज अस्पताल पहुंचाया। युवक को सीधे ऑर्थोपेडिक विभाग में भर्ती किया गया। विभाग के प्रमुख डॉ. अशोक विद्यार्थी ने बताया कि जब घायल युवक को लाया गया, तो उसका दाहिना हाथ पूरी तरह से कुचल चुका था। उंगलियां और हथेली की हड्डियां टूट चुकी थीं, और निचला हिस्सा मांस व हड्डी से अलग होने की कगार पर था।

डॉक्टरों की एक टीम ने तुरंत ऑपरेशन शुरू किया, लेकिन हाथ की हालत इतनी बिगड़ चुकी थी कि उसे बचाना असंभव था। संक्रमण के बड़े खतरे को देखते हुए, डॉक्टरों के पास उसका दाहिना हाथ कोहनी के नीचे से काटकर अलग करने के अलावा कोई और चारा नहीं था। डॉक्टरों ने बताया कि ऑपरेशन सफल रहा और युवक अब खतरे से बाहर है, लेकिन इस भयावह हादसे ने उसे शारीरिक और मानसिक रूप से गहरे घाव दिए हैं, जिसके लिए उसे लंबे समय तक इलाज और सहारे की ज़रूरत पड़ेगी।


ऑनलाइन गेमिंग: एक लत जो बन रही जानलेवा खतरे की घंटी

यह अकेली घटना नहीं है। पबजी या ऐसे अन्य ऑनलाइन बैटल गेम्स की वजह से देश के अलग-अलग हिस्सों में युवाओं के जीवन पर बड़े नकारात्मक प्रभाव पड़े हैं। कई मामलों में गेम हारने पर युवाओं ने आत्महत्या कर ली है, या आक्रामक व्यवहार दिखाया है। पबजी जैसे गेम्स युवाओं को आभासी दुनिया में इतना उलझा देते हैं कि वे समय, स्थान और वास्तविक खतरों से पूरी तरह बेखबर हो जाते हैं। विशेषज्ञ मानते हैं कि ये गेम्स न केवल मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर डालते हैं, बल्कि व्यवहार में आक्रामकता और एकांतप्रियता भी बढ़ाते हैं। जब इनका इस्तेमाल सही संतुलन के साथ न हो, तो परिणाम बेहद विनाशकारी हो सकते हैं।

घमापुर की यह घटना महज़ एक दुर्घटना नहीं, बल्कि एक गहरी चेतावनी है। यह उस खतरे की घंटी है जो आज की युवा पीढ़ी के सिर पर मंडरा रहा है। एक पल की लापरवाही और एक आभासी लड़ाई में पूरी तरह खो जाना, एक युवक को हमेशा के लिए अपंग कर गया। अब यह समय है जब हम सभी को मिलकर यह तय करना होगा कि टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल हमारे बच्चों को सशक्त बनाए, न कि उन्हें शारीरिक या मानसिक रूप से अपंग कर दे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *