भोपाल का ‘90 डिग्री’ फ्लाईओवर: इंजीनियरिंग की चूक या मजबूरी? लाखों लोगों की ज़िंदगी दांव पर

भोपाल, 13 जून 2025 — मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में जनता को ट्रैफिक से राहत देने के उद्देश्य से बनाए गए ऐशबाग रेलवे ओवरब्रिज ने अपने निर्माण से पहले ही विवाद और चिंता का माहौल बना दिया है। 18 करोड़ की लागत से बने इस फ्लाईओवर में एक ऐसा तेज 90 डिग्री का मोड़ दिया गया है जो न सिर्फ चालकों के लिए हैरानी का कारण बन गया है, बल्कि इसे “एक्सीडेंट जोन” और “डेथ ब्रिज” तक कहा जाने लगा है।


🔧 क्या है ऐशबाग ओवरब्रिज का विवाद?

  • यह फ्लाईओवर 648 मीटर लंबा और 8.5 मीटर चौड़ा है, जिसे पीडब्ल्यूडी द्वारा रेलवे लाइन के ऊपर बनाया गया है।
  • इसका उद्देश्य ऐशबाग, पुष्पा नगर, गांधी नगर और आसपास के इलाकों को स्टेशन रोड और शहर के प्रमुख हिस्सों से जोड़ना है।
  • यह प्रोजेक्ट कई सालों से अटका था और इसे 10 साल बाद पूरा किया गया है

लेकिन अब यह जनता को सुविधा देने की बजाय दुर्घटनाओं की आशंका का केंद्र बन गया है, क्योंकि फ्लाईओवर के बीचोंबीच एक अचानक और बेहद तीखा 90 डिग्री का मोड़ दे दिया गया है। न तो यहां रुकने का कोई स्थान है, न ही वाहन चालकों को मोड़ के लिए मानसिक या दृश्य संकेत मिलता है।


🛑 इंजीनियरिंग के नियमों की अनदेखी?

ट्रैफिक और रोड इंजीनियरिंग के नियमों के अनुसार—

  • ऐसे ऊंचे स्थानों पर अचानक तीखे मोड़ कभी भी सीधे नहीं दिए जाते
  • हर तीखे मोड़ से पहले एक ‘कर्व’ या ‘टेपर्ड ज़ोन’ होना चाहिए, जिससे वाहन की गति स्वाभाविक रूप से धीमी हो।
  • इसके अलावा, वार्निंग साइन, स्पीड ब्रेकर और रौशनी जरूरी होती है।

लेकिन ऐशबाग ब्रिज में ये सब पूरी तरह नदारद हैं।


🗣️ तकनीकी विशेषज्ञों की राय

पूर्व पीडब्ल्यूडी प्रमुख इंजीनियर वी.के. अमर ने कहा:

“इस तरह का सीधा 90 डिग्री मोड़, वह भी बिना किसी चेतावनी के — वाहन चालकों के लिए जानलेवा साबित हो सकता है। फ्लाईओवर की ऊँचाई और तेज रफ्तार को देखते हुए यह डिज़ाइन बेहद ख़तरनाक है।”


🏗️ PWD और सरकार की सफाई क्या है?

PWD और सरकार की ओर से कहा गया कि:

  • मेट्रो स्टेशन और रेलवे ट्रैक के कारण भूमि सीमित थी।
  • फ्लाईओवर को जोड़ने के लिए इस मजबूरी भरे मोड़ की आवश्यकता थी।
  • फिलहाल सिर्फ हल्के वाहनों को इस पर चलने की अनुमति दी जाएगी।
  • गति सीमा को नियंत्रित किया जाएगा और सुरक्षा संकेत जल्द लगाए जाएंगे

PWD मंत्री राकेश सिंह ने जांच के आदेश देते हुए कहा:

“इस पर विशेषज्ञों से राय ली जा रही है। NHAI और हमारी तकनीकी टीमों को निरीक्षण करने भेजा गया है।”


📅 क्या होने जा रहा है अब?

तिथिकार्रवाईविवरण
11 जून 2025NHAI का निरीक्षणतकनीकी मूल्यांकन किया गया
14 जून 2025मंत्री विश्वास सारंग का दौराब्रिज की संरचना और डिज़ाइन की समीक्षा
जून 2025सुधार प्रस्तावसंभवतः चेतावनी बोर्ड, टर्निंग कर्व, स्पीड कंट्रोल उपाय

🧑‍🤝‍🧑 स्थानीय जनता का क्या कहना है?

  • सोशल मीडिया पर इसे “डेथ ब्रिज”, “90 डिग्री एक्सीडेंट मशीन” जैसे नाम दिए जा रहे हैं।
  • लोगों का कहना है कि 10 साल तक इंतज़ार करने के बाद भी ऐसा डिज़ाइन मिला, जो खतरे से भरपूर है।
  • कई ड्राइवरों ने टेस्ट ड्राइव के दौरान बताया कि मोड़ एकदम से आता है, और वाहन की स्पीड कंट्रोल करना मुश्किल होता है।

📸 विज़ुअल्स में साफ दिखाई देता है खतरा

ब्रिज की तस्वीरें और वीडियो दिखाते हैं:

  • मोड़ एकदम सीधा और तेज़ है
  • कोई वॉर्निंग साइन नहीं है
  • फुटपाथ और रेलिंग भी संकरी हैं

सवाल जो अभी भी अनुत्तरित हैं

  1. क्या यह डिज़ाइन वाकई में मजबूरी थी या लापरवाही?
  2. क्या सिर्फ चेतावनी बोर्ड लगाकर इस खतरे को कम किया जा सकता है?
  3. अगर कोई हादसा हुआ, तो जिम्मेदारी कौन लेगा?

🔍विकास या जोखिम का ढांचा?

भोपाल के ऐशबाग ओवरब्रिज का निर्माण इस उद्देश्य से किया गया था कि ट्रैफिक को राहत मिले और जनता का समय बचे, लेकिन फिलहाल यह सवालों के घेरे में है। डिज़ाइन की गलती या मजबूरी—कुछ भी हो—सरकार के पास अब विकल्प कम हैं और जवाबदेही बड़ी है।

अब सबकी निगाहें 14 जून को होने वाले मंत्री दौरे और उसके बाद की कार्रवाई पर टिकी हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *