जबलपुर: भाजपा लीगल सेल कार्यकर्ता पर बर्बर हमला, ‘न्याय’ की गुहार और पुलिस कार्रवाई पर गंभीर सवाल

जबलपुर, मध्य प्रदेश – न्याय की धरती जबलपुर में एक बार फिर कानून व्यवस्था तार-तार होती दिखी है। भाजपा लीगल सेल के कार्यकर्ता और पेशे से अधिवक्ता दीपांशु साहू के साथ सरेआम हुई मारपीट की बर्बर घटना ने पूरे शहर को झकझोर कर रख दिया है। इस सनसनीखेज वारदात का एक वीडियो सोशल मीडिया पर जंगल की आग की तरह फैल गया है, जो न सिर्फ हमलावरों की बेखौफ दबंगई को दर्शाता है, बल्कि विजयनगर थाना प्रभारी पर भी FIR में मनमाने ढंग से तथ्यों को दर्ज करने और पीड़ित की चीखों को अनसुना करने के गंभीर आरोप लगाए गए हैं। इस हृदयविदारक प्रकरण को लेकर अब पुलिस अधीक्षक (SP) जबलपुर से न्याय की गुहार लगाई गई है, जिसमें निष्पक्ष जांच और दोषियों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की मांग की गई है।

सरेराह बेदर्दी से पीटा गया, सोने की चेन भी लूटी

यह रोंगटे खड़े कर देने वाली घटना 25 मई 2025 की बताई जा रही है। अधिवक्ता दीपांशु साहू अपनी रोजमर्रा की दिनचर्या के अनुसार कोर्ट जाने के लिए निकल रहे थे। आईटीआई रोड स्थित स्वास्तिक अस्पताल के पास उन्हें अशोक साहू, दिनेश साहू और कुछ अन्य व्यक्तियों ने अचानक घेर लिया। दीपांशु साहू ने जब वहां चल रहे निर्माण कार्य पर आपत्ति जताई और बताया कि इस जमीन से संबंधित मामला पहले से ही एसडीएम कोर्ट में लंबित है, तो आरोपियों ने बहस के बाद उन्हें बेदर्दी से पीटना शुरू कर दिया। उन पर लात-घूंसों, पत्थरों और जूतों से पाशविक हमला किया गया और भद्दी-भद्दी गालियां दी गईं। इस पूरी घटना का वीडियो अब तेजी से सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जो उस भयावह मंजर को बयां करता है। बताया जा रहा है कि यह विवाद उस रास्ते को लेकर था जो अधिवक्ता की कॉलोनी की ओर जाता है और एक निजी अस्पताल उस पर अवैध रूप से बाउंड्री वॉल बनाने का प्रयास कर रहा था। दीपांशु साहू ने आरोप लगाया है कि हमले के दौरान, दिनेश साहू ने उनके गले से लगभग चार तोले की सोने की चेन भी छीन ली।

FIR से ‘लूट’ और ‘गाली-गलौज’ गायब: पुलिस पर उठे गंभीर सवाल।।

पीड़ित दीपांशु साहू जब अपने साथ हुई इस दरिंदगी की शिकायत लेकर विजयनगर थाने पहुंचे और FIR दर्ज कराने का प्रयास किया, तो उन्हें एक और सदमा लगा। उन्होंने थाना प्रभारी पर गंभीर आरोप लगाए। दीपांशु साहू के अनुसार, थाना प्रभारी ने कथित तौर पर लूट और गाली-गलौज जैसे महत्वपूर्ण तथ्यों को FIR से ही हटा दिया और यह कहते हुए दबाव बनाया कि “जो मैं लिखवाऊं वही लिखेगा, नहीं तो FIR नहीं होगी।” यह घटना पुलिस कार्रवाई की पारदर्शिता पर एक बड़ा प्रश्नचिह्न लगाती है और पीड़ित के साथ न्याय होने की उम्मीद को धूमिल करती है।

थाना प्रभारी के खिलाफ SP से लगाई गुहार

इस पूरे मामले की गंभीरता को देखते हुए, भाजपा के विधि प्रकोष्ठ के कार्यकर्ता और अधिवक्ता राहुल श्रीवास्तव ने जबलपुर एसपी को एक विस्तृत लिखित शिकायत सौंपी है। इस शिकायत में विजयनगर थाना प्रभारी पर जानबूझकर FIR में तथ्यों को बदलने, आपराधिक धाराओं को हटाने और पूर्व में दी गई शिकायतों पर कोई संज्ञान न लेने जैसे गंभीर आरोप लगाए गए हैं। शिकायत में यह भी उल्लेख किया गया है कि थाने में लगे सीसीटीवी कैमरों की रिकॉर्डिंग (विशेषकर लगभग 3:30 बजे की) से थाना प्रभारी की भूमिका की पुष्टि की जा सकती है। अधिवक्ताओं ने इस पूरे प्रकरण में निष्पक्ष जांच और दोषियों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की मांग की है ताकि अपराधियों के हौसले पस्त हों और पुलिस की विश्वसनीयता बनी रहे।

पूर्व में मिली धमकियां, फिर भी पुलिस रही बेखबर

यह पहला मौका नहीं है जब दीपांशु साहू को इस तरह की धमकियां मिली हों। इस घटना से पहले भी उन्हें स्वास्तिक अस्पताल संचालकों द्वारा लगातार धमकाया जा रहा था। 21 नवंबर 2024 को अशोक साहू ने उन्हें फोन पर गालियां देते हुए धमकाया था कि यदि वे उस रास्ते से निकले तो उनके हाथ-पैर तोड़ दिए जाएंगे। इस धमकी की रिकॉर्डिंग ओमती थाना को सौंपी गई थी, लेकिन उस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। इसी तरह, 1 फरवरी और 22 अप्रैल 2025 को भी विजयनगर थाने में अलग-अलग शिकायतें दर्ज कराई गई थीं, जिन पर कथित तौर पर कोई सुनवाई नहीं हुई। यह पुलिस की निष्क्रियता और उदासीनता पर गंभीर सवाल खड़े करता है, जिसके चलते एक नागरिक को इस तरह के हमले का शिकार होना पड़ा।अस्पताल संचालकों की दबंगई और न्याय की अनदेखीदीपांशु साहू के परिवारजनों ने भी शिकायत की है कि स्वास्तिक अस्पताल संचालकों ने उनके कार्यालय का बोर्ड तक उखाड़ कर फेंक दिया था। जब उन्होंने थाने में इसकी शिकायत की, तो वहां मौजूद स्टाफ ने उन्हें यह कहकर टाल दिया कि ‘थाना प्रभारी आएंगे तब देखेंगे, अभी आप जाओ।’ यह घटना अस्पताल संचालकों की कथित दबंगई और पुलिस प्रशासन की उस अनदेखी को दर्शाती है, जिसकी वजह से एक आम नागरिक को बार-बार अपमानित और प्रताड़ित होना पड़ा।

अधिवक्ताओं में भारी रोष: “जब वकील ही सुरक्षित नहीं तो आम जनता का क्या?

“भाजपा लीगल सेल के कार्यकर्ता और अधिवक्ता पर हुए इस अमानवीय हमले और FIR में कथित हेरफेर से पूरे अधिवक्ता वर्ग में भारी नाराजगी है। उनका कहना है कि “यदि कानून के रक्षक ही सुरक्षित नहीं हैं, तो आम नागरिकों की सुरक्षा की गारंटी कौन देगा?” पीड़ित पक्ष ने मारपीट के वीडियो फुटेज और ऑडियो रिकॉर्डिंग जैसे ठोस सबूत पेश करते हुए इस मामले में निष्पक्ष और कड़ी कार्रवाई की मांग की है ताकि दोषियों को सबक मिल सके और जबलपुर में कानून का राज स्थापित हो सके। इस घटना ने एक बार फिर पुलिस प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं और हर नागरिक को यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि क्या वे अपने ही शहर में सुरक्षित हैं?

One thought on “जबलपुर: भाजपा लीगल सेल कार्यकर्ता पर बर्बर हमला, ‘न्याय’ की गुहार और पुलिस कार्रवाई पर गंभीर सवाल

  1. भाईसाहब लेख ये है की…….स्वास्तिक अस्पताल जबलपुर के संचालक,कृष्ण कुमार साहू, अशोक कुमार साहू के bouncer दिनेश साहू एवं 8 से 10 लोगों द्वारा घटना को अंजाम दिया गया l

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *