जबलपुर, मध्य प्रदेश: जहाँ एक ओर जबलपुर नगर निगम जल संकट से निपटने के लिए अमृत योजना के तहत करोड़ों रुपये का बजट खर्च करने का दावा कर रहा है, वहीं दूसरी ओर नगर निगम अध्यक्ष रिंकू विज का खुद का वार्ड—रानी अवंती बाई वार्ड क्रमांक 67—बूंद-बूंद पानी के लिए तरस रहा है। नर्मदा के तट पर स्थित इस क्षेत्र में जल संकट की यह स्थिति नगर निगम की कार्यप्रणाली पर बड़े सवाल खड़े करती है।
शहर की घोषणा, ज़मीनी हकीकत से कोसों दूर
महापौर जगत बहादुर सिंह अन्नू ने हाल ही में अपने ढाई वर्ष के कार्यकाल की उपलब्धियाँ गिनाते हुए बताया था कि जबलपुर में 1.71 लाख नल कनेक्शन हैं और दिसंबर 2025 तक हर घर में नर्मदा जल पहुँचाने का लक्ष्य है। लेकिन जब निगम अध्यक्ष का ही वार्ड पानी के लिए तरस रहा है, तो यह लक्ष्य मात्र एक घोषणा बनकर रह जाता है।
वार्ड की स्थिति: हैंडपंप और बोर भी बंद
रानी अवंती बाई वार्ड की स्थिति चिंताजनक है। यहाँ दो हैंडपंप तो हैं, लेकिन दोनों वर्षों से खराब पड़े हैं। एकमात्र बोरवेल भी कई दिनों से बंद है। स्थानीय नागरिकों का आरोप है कि निगम अध्यक्ष रिंकू विज को बार-बार शिकायत देने के बाद भी कोई सुनवाई नहीं हो रही। स्थिति यह है कि नर्मदा घाट के बेहद करीब होने के बावजूद यहां के लोगों को पीने के पानी के लिए एक से डेढ़ किलोमीटर दूर जाना पड़ता है।
नर्मदा जल योजना का असर इस क्षेत्र तक क्यों नहीं? इस वार्ड से होकर गुजरने वाली नर्मदा नदी और समीप स्थित लालपुर जल शोधन संयंत्र आधे शहर को पानी सप्लाई कर रहे हैं, लेकिन आश्चर्यजनक रूप से इस बस्ती को अब तक एक बूंद पानी भी नसीब नहीं हुआ। यह विडंबना इस बात को दर्शाती है कि शहर की जल आपूर्ति योजना में समानता और प्राथमिकता की कमी है।
जनता का संघर्ष: बुजुर्गों की बेबसी
वार्ड की एक 70 वर्षीय महिला बताती हैं कि उन्हें रोज़ अपने घर से लगभग एक किलोमीटर दूर घाट से पानी लाना पड़ता है। उनके जैसे कई बुजुर्गों और बच्चों को भी इसी संघर्ष से गुजरना पड़ता है, जो यह दर्शाता है कि बुनियादी सुविधाओं के अभाव में कैसे आम लोग रोज़ जीते हैं।
न टैंकर, न समाधान महापौर के दावों के अनुसार, शहर में 36 निशुल्क और अनेक सशुल्क टैंकर जल आपूर्ति कर रहे हैं, लेकिन रानी अवंती बाई वार्ड में एक भी टैंकर अब तक नहीं पहुँचा। यह सवाल उठता है कि क्या जल टैंकरों का वितरण भी राजनीतिक या भौगोलिक प्राथमिकताओं के अधीन है?
राजनीतिक दायित्व बनाम प्रशासनिक विफलता
वार्ड 67 से निर्वाचित पार्षद रिंकू विज फिलहाल नगर निगम अध्यक्ष के पद पर आसीन हैं। ऐसे में अगर उनके खुद के वार्ड में बुनियादी सुविधा —जल— भी नहीं पहुँच पा रही है, तो यह पूरे नगर निगम की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े करता है। स्थानीय निवासियों की मांग है कि अगर शहर भर की जिम्मेदारी संभालने का दावा किया जा रहा है, तो कम से कम अपने वार्ड की जनता की प्यास तो बुझाई जाए।
जवाबदेही की दरकार
शहर के नागरिकों को केवल योजनाओं की घोषणाओं की नहीं, बल्कि उनके निष्पादन की ज़रूरत है। एक तरफ नगर निगम करोड़ों के बजट और लक्ष्य तय करता है, वहीं दूसरी ओर उसके वरिष्ठ पदाधिकारी का ही वार्ड जल संकट से कराहता है। यह विरोधाभास अब सिर्फ सवाल नहीं, बल्कि जवाब मांग रहा है।