नई दिल्ली, 5 जून, 2025: कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में पाकिस्तान को मिली अहम भूमिकाओं को लेकर केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर तीखा हमला बोला है। खड़गे ने X (पूर्व ट्विटर) पर एक पोस्ट में कहा कि 15-सदस्यीय संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की आतंकवाद-रोधी समिति का पाकिस्तान का उपाध्यक्ष बनना और विश्व निकाय के एक अन्य पैनल का अध्यक्ष बनना “बेहद दुर्भाग्यपूर्ण, गलत जानकारी पर आधारित और अस्वीकार्य” है।
खड़गे ने प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व वाली सरकार से आग्रह किया कि वह वैश्विक मंच पर भारत और पाकिस्तान को ‘अलग’ करने के लिए दृढ़ कूटनीतिक कार्रवाई करे। उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से भी अपील की कि वे पाकिस्तान से निकलने वाले आतंकवाद पर भारत के रुख को समझें और उसका समर्थन करें।https://x.com/kharge/status/1930509363782824324
“हमारी विदेश नीति की नाकामी”: खड़गे का तीखा बयान
मल्लिकार्जुन खड़गे ने इस घटनाक्रम को “हमारी अपनी विदेश नीति के पतन की दुखद कहानी” बताया। उन्होंने सवाल उठाया कि कैसे वैश्विक समुदाय पाकिस्तान के आतंकवाद के प्रायोजन को वैध ठहराना जारी रख सकता है। खड़गे ने जोर देकर कहा कि पाकिस्तान को उसके “पापों के लिए जवाबदेह ठहराना” न केवल भारत के लिए, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के हितों के लिए भी एक आवश्यकता है।
कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, “भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से आग्रह करती है कि वे पाकिस्तान से निकलने वाले आतंकवाद पर भारत के रुख को समझें और उसका समर्थन करें।”
पाकिस्तान को मिली UNSC में अहम भूमिकाएँ
खड़गे की यह टिप्पणी तब आई है जब यह सामने आया कि पाकिस्तान 2025 के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की तालिबान प्रतिबंध समिति की अध्यक्षता करेगा और संयुक्त राष्ट्र निकाय की आतंकवाद-रोधी समिति का उपाध्यक्ष होगा।
खड़गे ने अपनी पोस्ट में कहा, “पाकिस्तान आतंकवाद का अपराधी है। भारत आतंकवाद का शिकार है। उन्हें बराबर नहीं ठहराया जा सकता। उन्हें एक साथ नहीं जोड़ा जाना चाहिए।”
उन्होंने यह भी तर्क दिया कि IMF, ADB और विश्व बैंक द्वारा ऋण और बेलआउट पैकेज स्वीकृत करने से केवल पाकिस्तान का सैन्य खर्च बढ़ेगा, जिसका उपयोग उसकी ‘दुष्ट सेना’ भारतीयों पर आतंक फैलाने के लिए करती है।
FATF ग्रे लिस्ट में पाकिस्तान की वापसी की मांग
खड़गे ने जोर देकर कहा कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को भारत के मामले में योग्यता देखनी चाहिए कि पाकिस्तान को उसके आतंकवाद के वित्तपोषण की निगरानी के लिए FATF ग्रे लिस्ट में वापस शामिल किया जाना चाहिए।
उन्होंने बताया कि पाकिस्तान को पहले 2008 में तत्कालीन प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह के अधीन भारत के कूटनीतिक प्रयासों के बाद और फिर 2012 में ग्रे लिस्ट में शामिल किया गया था। उन्होंने नोट किया कि यह तीन बार ग्रे लिस्ट में रहा है, आखिरी बार 2018 में।
खड़गे ने कहा, “पाकिस्तान को उसके पापों के लिए जवाबदेह ठहराना न केवल भारत के लिए, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के हितों के लिए भी एक आवश्यकता है।” उन्होंने याद दिलाया कि 9/11 के लिए जिम्मेदार सबसे वांछित आतंकवादी – ओसामा बिन लादेन, पाकिस्तान में पाया गया था और वहीं मारा गया था। 9/11 का मुख्य योजनाकार, खालिद शेख मोहम्मद (KSM), भी एक पाकिस्तानी था।
कांग्रेस का कड़ा रुख और ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर सवाल
कांग्रेस के मीडिया और प्रचार विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा ने भी इस मुद्दे पर सरकार पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने X पर कहा कि 9 मई को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान IMF ने पाकिस्तान को 1 बिलियन अमरीकी डालर दिए थे। उन्होंने यह भी बताया कि विश्व बैंक ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तुरंत बाद पाकिस्तान को 40 बिलियन अमरीकी डालर देने का फैसला किया, और ADB ने 3 जून को 800 मिलियन अमरीकी डालर दिए।
खेड़ा ने जोर देकर कहा कि 4 जून को पाकिस्तान को UNSC तालिबान प्रतिबंध समिति का अध्यक्ष और UNSC आतंकवाद-रोधी समिति का उपाध्यक्ष चुना गया। उन्होंने सवाल उठाया, “निश्चित रूप से, यह हमारी अपनी विदेश नीति के पतन की दुखद कहानी है, लेकिन वैश्विक समुदाय पाकिस्तान द्वारा आतंकवाद के प्रायोजन को लगातार वैध कैसे ठहरा सकता है?”
पाकिस्तान 2025-26 के कार्यकाल के लिए 15-राष्ट्र सुरक्षा परिषद का एक गैर-स्थायी सदस्य है। भारत ने लगातार अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को याद दिलाया है कि पाकिस्तान दुनिया में संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रतिबंधित आतंकवादियों और संस्थाओं की सबसे बड़ी संख्या का मेजबान है।