ड्यूटी पर पुलिसकर्मी को बदमाश ने मारी गोली, घंटों तक ‘टॉप सीक्रेट’ रखी गई घटना; पुलिस की चुप्पी पर उठे तीखे सवाल

शहर के बीचोंबीच स्थित बलदेव बाग पेट्रोल पंप पर सोमवार को एक ऐसी चौंकाने वाली वारदात हुई, जिसने न सिर्फ कानून-व्यवस्था की धज्जियां उड़ा दीं, बल्कि जबलपुर पुलिस के माथे पर भी सवालों का कलंक लगा दिया। एक निगरानीशुदा बदमाश ने ड्यूटी पर तैनात एक पुलिसकर्मी पर खुलेआम हवाई फायर कर दिया। लेकिन सबसे सनसनीखेज बात यह रही कि इस गंभीर हमले की खबर घंटों तक कंट्रोल रूम से लेकर मीडिया तक से छिपाई गई। पुलिस अधिकारियों की रहस्यमयी चुप्पी ने महकमे की पारदर्शिता और जवाबदेही पर गहरे प्रश्नचिह्न लगा दिए हैं।


दिनदहाड़े दुस्साहस: पुलिसकर्मी पर चली गोली, शहर में सन्नाटा!

प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, घटना उस वक्त हुई जब यातायात विभाग के पुलिसकर्मी अनिल कौशिक बलदेव बाग पेट्रोल पंप के पास अपनी ड्यूटी निभा रहे थे। तभी बिना नंबर की बाइक पर सवार गुल्लू सोनी नामक युवक ने, बहस के बाद कुछ दूर जाकर दहशत फैलाने की नीयत से सीधे पुलिसकर्मी की दिशा में हवाई फायर कर दिया। गोली सौभाग्यवश किसी को नहीं लगी और बड़ा हादसा टल गया। मगर, शहर के हृदयस्थल पर पुलिसकर्मी पर हुए इस खुलेआम हमले ने जनता के मन में डर और अविश्वास पैदा कर दिया है – क्या अपराधियों को अब खाकी का कोई खौफ नहीं रहा?


307 का फरार आरोपी बना हमलावर: पुलिस की गिरफ्त पर भी सवालिया निशान!

पुलिस सूत्रों के अनुसार, आरोपी गुल्लू सोनी गढ़ा क्षेत्र का निवासी है और वह हत्या के प्रयास (धारा 307) सहित अन्य गंभीर मामलों में पहले से ही फरार चल रहा था। पुलिस ने तत्परता दिखाते हुए कुछ ही घंटों में उसे गिरफ्तार कर लिया और उसके कब्जे से हथियार व मोटरसाइकिल भी जब्त की। यह गिरफ्तारी भले ही पुलिस की ‘कार्रवाई’ दर्शाती हो, लेकिन यह सवाल जस का तस है कि धारा 307 जैसे संगीन आरोप में फरार एक अपराधी खुलेआम शहर में घूम रहा था और पुलिस को भनक तक नहीं लगी? क्या यह पुलिस की ‘तत्परता’ कम और ‘लापरवाही’ का परिणाम अधिक है?


पुलिस अधिकारी ‘गायब’: ‘टॉप सीक्रेट’ रखा गया हमला, क्यों साधी चुप्पी?

इस बड़ी वारदात के बाद जबलपुर पुलिस ने जो रुख अपनाया, वह बेहद चौंकाने वाला था। घटना की जानकारी जुटाने में लगी मीडिया टीमों को घंटों तक कोई भी सूचना नहीं मिली। एडिशनल एसपी से लेकर संबंधित थाना प्रभारी तक, किसी का भी मोबाइल या तो बंद था या कॉल रिसीव नहीं किए जा रहे थे। कोई भी अधिकारी सामने आकर घटना की पुष्टि करने या जानकारी देने को तैयार नहीं था। शहर में गोली चलने की खबर आग की तरह फैल रही थी, और पुलिस खामोश थी। घंटों की मशक्कत के बाद, नगर पुलिस अधीक्षक (सीएसपी) रितेश कुमार शिव ने केवल घटना की पुष्टि की, लेकिन उस पुलिसकर्मी का नाम तक नहीं बता सके जिस पर हमला हुआ था।

यहां तक कि घटना स्थल जिस थाना क्षेत्र में आता है, वहां के थाना प्रभारी नवल आर्य ने तीन घंटे बाद प्रतिक्रिया दी और केवल इतना कहकर पल्ला झाड़ लिया, “मैं आपसे क्षमा चाहता हूं, मुझे कार्रवाई करने दीजिए।” यह बयान तब आया जब मीडियाकर्मी शहर की सड़कों पर सच्चाई तलाश रहे थे। क्या पुलिस अपराध नियंत्रण में असफल होकर अब सूचना छिपाने में माहिर हो गई है?


‘जानकारी छिपाने’ का आरोप: एएसपी के खुलासे ने खोले पुलिस की ‘पोल’

घटना के लगभग चार घंटे बाद, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (ग्रामीण) सूर्यकांत शर्मा ने आखिरकार मीडिया को बताया कि हमला अनिल कौशिक नामक यातायात पुलिसकर्मी पर हुआ था, जो मालवीय चौक में पदस्थ हैं। एएसपी सूर्यकांत शर्मा की यह जानकारी भले ही महत्वपूर्ण थी, लेकिन इसने जबलपुर शहर की पूरी पुलिस पर इस गंभीर घटना को घंटों तक छिपाने और सूचनाओं को दबाने के गंभीर आरोप खड़े कर दिए हैं। जब खुद पुलिस पर हमला होता है और खबर दबाने की कोशिश होती है, तो आम जनता की सुरक्षा का अंदाजा लगाना कितना मुश्किल होगा? इस पूरे प्रकरण ने जबलपुर पुलिस की पारदर्शिता, तत्परता और अपराधियों पर लगाम कसने की उसकी क्षमता पर गहरे प्रश्नचिह्न लगा दिए हैं, जिनकी जवाबदेही तय होना बाकी है।

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