डीपफेक का बढ़ता खतरा: न्यूज़ीलैंड की MP ने खुद की नकली तस्वीर दिखाकर दी बड़ी चेतावनी

Got it. Here’s the news report about Deepfakes written in simpler, easier-to-understand Hindi:


एक नकली फोटो, एक बहादुर सांसद, और एक ज़रूरी सबक जो हमें डीपफेक के बारे में सीखना होगा।


नई दिल्ली, 3 जून, 2025: आजकल टेक्नोलॉजी जितनी तेज़ी से बढ़ रही है, उसके खतरे भी उतने ही बड़े होते जा रहे हैं। इसी खतरे को समझाने के लिए, न्यूज़ीलैंड की सांसद लॉरा मैक्लूर ने संसद में कुछ ऐसा किया जिससे सब हैरान रह गए। उन्होंने अपनी ही एक AI (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) से बनी, सेंसर की हुई नकली नग्न तस्वीर दिखाई। उन्होंने ये बताया कि ऐसी झूठी और आपत्तिजनक तस्वीरें बनाना कितना आसान और खतरनाक है।


5 मिनट में बनी फेक तस्वीर और संसद में सबके सामने लाई

एसीटी पार्टी की सदस्य लॉरा मैक्लूर ने ये डीपफेक तस्वीर सिर्फ पाँच मिनट में बनाई। उन्हें ये फोटो बनाने वाली वेबसाइट गूगल पर आसानी से मिल गई थी। 14 मई को एक बहस के दौरान उन्होंने ये तस्वीर दिखाते हुए कहा: “ये फोटो मेरी नग्न तस्वीर है, लेकिन ये असली नहीं है।” बाद में, उन्होंने एक सोशल मीडिया वीडियो में समझाया कि उन्होंने ऐसा क्यों किया: ताकि लोगों को पता चले कि डीपफेक का गलत इस्तेमाल कितना बढ़ रहा है, खासकर युवा न्यूज़ीलैंडवासियों, और उनमें भी खासकर युवा महिलाओं को निशाना बनाया जा रहा है।

लॉरा मैक्लूर ने कहा कि ये तस्वीर दिखाना उनके लिए बहुत डरावना था, लेकिन कानूनों में बदलाव के लिए ये ज़रूरी था। न्यूज़ीलैंड के मौजूदा कानून डीपफेक के बारे में साफ नहीं हैं, हालाँकि कुछ नुकसान पहुँचाने वाली डिजिटल चीज़ों को कवर किया गया है।

अब वो ‘डीपफेक डिजिटल हार्म एंड एक्सप्लॉयटेशन बिल’ नाम का नया कानून बनाने की वकालत कर रही हैं। इस नए प्रस्ताव में ये बातें शामिल हैं:

  • बिना इजाज़त के डीपफेक बनाना या शेयर करना जुर्म होगा।
  • रिवेंज पोर्न (बदले की भावना से निजी तस्वीरें फैलाना) और निजी सामग्री से जुड़े कानूनों को अपडेट करना।
  • पीड़ितों को ऐसी हानिकारक सामग्री हटाने और इंसाफ पाने के बेहतर तरीके मिलेंगे।

विशेषज्ञ भी उनकी बात का समर्थन कर रहे हैं। उनका कहना है कि ज़्यादातर डीपफेक पोर्न बिना सहमति के बनाए जाते हैं और इनमें ज़्यादातर महिलाएं ही शिकार बनती हैं। लॉरा मैक्लूर का संदेश साफ है: “किसी को भी, खासकर बिना उनकी मर्ज़ी के, डीपफेक पोर्न का शिकार नहीं बनाना चाहिए। ये एक तरह का शोषण है। हमारे कानून पीछे रह गए हैं, और उनमें बदलाव होना ज़रूरी है।”


डीपफेक को ऐसे पहचानें: ये 4 बातें ध्यान रखें

डीपफेक टेक्नोलॉजी अब इतनी असली लगने लगी है कि नकली वीडियो और तस्वीरों को पहचानना मुश्किल हो गया है। इसलिए, हेरफेर की गई चीज़ों को पहचानने के लिए कुछ आसान तरीके यहाँ दिए गए हैं:

  • चेहरे में गड़बड़ी: देखिए कि क्या त्वचा का रंग अजीब लग रहा है, रोशनी एक जैसी नहीं है, या चेहरे के फीचर्स (आँखें, दाँत, हाव-भाव) ठीक से मिल नहीं रहे हैं। डीपफेक में अक्सर आँखें, दाँत और चेहरे के हाव-भाव असली जैसे नहीं दिखते।
  • आवाज और वीडियो का तालमेल न होना: अगर होंठों की हरकतें बोले गए शब्दों से मेल नहीं खातीं या आवाज रोबोट जैसी लगती है, तो ये डीपफेक हो सकता है।
  • अजीब हरकतें: अगर वीडियो में कोई व्यक्ति अजीब तरह से हिल रहा है, बहुत तेज़ी से या बहुत धीरे, तो ये भी छेड़छाड़ का संकेत हो सकता है।
  • बैकग्राउंड में गड़बड़ी: अगर बैकग्राउंड में कुछ चीजें मुड़ी हुई दिखें, या रोशनी बार-बार बदल रही हो, तो ये भी खतरे की घंटी है।

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