सावधान | ITR फॉर्म की एक गलती पड़ सकती है भारी, जुर्माने और नुकसान से बचने का ये है तरीका
हर साल इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) भरने की आखिरी तारीख आते ही लाखों लोग इसमें जुट जाते हैं। कई बार लोग जल्दबाजी में सारे दस्तावेज़ अपलोड कर देते हैं, हर कॉलम भर देते हैं, और समय पर रिटर्न जमा भी कर देते हैं, लेकिन बाद में पता चलता है कि उन्होंने ITR का गलत फॉर्म चुन लिया था। यह सुनने में छोटी सी गलती लग सकती है, लेकिन इसके परिणाम काफी गंभीर हो सकते हैं।
चाहे आप नौकरीपेशा हों, फ्रीलांसर हों या कारोबारी, सही ITR फॉर्म चुनना बेहद ज़रूरी है। अगर इसमें गलती हो जाए, तो आपको रिफंड छूट सकता है, जुर्माना लग सकता है, या इससे भी बुरा, आपका रिटर्न अमान्य माना जा सकता है।
गलत ITR फॉर्म भरने पर क्या होता है?
CA (डॉ) सुरेश सुराना के मुताबिक, गलत ITR फॉर्म का इस्तेमाल करना सिर्फ एक मामूली गलती नहीं है, बल्कि इससे बड़ी कानूनी दिक्कतें आ सकती हैं।
- ‘दोषपूर्ण रिटर्न’ (Defective Return): आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 139(9) के तहत ऐसे रिटर्न को ‘दोषपूर्ण’ करार दिया जा सकता है।
- नोटिस और मौका: इनकम टैक्स डिपार्टमेंट आपको एक नोटिस जारी करेगा और आपको 15 दिनों के भीतर (अनुरोध पर बढ़ाया जा सकता है) गलती सुधारने का मौका देगा।
- रिटर्न अमान्य: यदि आप तय समय-सीमा के भीतर जवाब नहीं देते या गलती नहीं सुधारते, तो आपके रिटर्न को ‘अमान्य’ माना जा सकता है, यानी यह माना जाएगा कि आपने रिटर्न भरा ही नहीं।
यह गलती इतनी गंभीर क्यों है?
अमान्य रिटर्न सिर्फ एक तकनीकी नामंजूरी नहीं है, इसके कई गंभीर परिणाम हो सकते हैं:
- लाभों का नुकसान: आप कुछ कटौतियों का दावा करने, घाटे को आगे ले जाने, या अपना रिफंड प्राप्त करने का मौका खो सकते हैं।
- लेट फीस और जुर्माना: आपको 5,000 रुपये तक का लेट फाइलिंग शुल्क देना पड़ सकता है (यदि आपकी कुल आय 5 लाख रुपये से कम है, तो यह शुल्क 1,000 रुपये तक सीमित है)।
- ब्याज का बोझ: धारा 234A के तहत देरी के लिए आपको प्रति माह 1% ब्याज भी देना पड़ सकता है।
- मुकदमा: गंभीर मामलों में, खासकर यदि कर चोरी की राशि 25 लाख रुपये से अधिक हो, तो 6 महीने से 7 साल तक की कैद और जुर्माने का भी सामना करना पड़ सकता है।
क्या आपका रिफंड अटक सकता है?
जी हां, गलत ITR फॉर्म भरने से आपका रिफंड फंस सकता है। आयकर प्रणाली आपके द्वारा बताई गई आय को आपके द्वारा उपयोग किए गए फॉर्म के साथ क्रॉस-चेक करती है। यदि कोई बेमेल होता है, तो इससे नोटिस आ सकता है, समायोजन हो सकता है, या आपके रिटर्न को पूरी तरह से खारिज किया जा सकता है। डॉ. सुराना बताते हैं कि गलत फॉर्म के कारण सिस्टम योग्य रिफंड दावे को ठीक से कैप्चर नहीं कर पाता, जिससे डेटा में गड़बड़ी हो सकती है और प्रोसेसिंग में दिक्कत आ सकती है।
गलती को कैसे सुधारें?
खुशखबरी यह है कि सब कुछ खत्म नहीं हुआ है। गलती को सुधारा जा सकता है:
- संशोधित रिटर्न (Revised Return) फाइल करें (धारा 139(5)): यदि आपने अपना मूल रिटर्न निर्धारित नियत तारीख तक फाइल कर दिया था, तो आप इनकम टैक्स ई-फाइलिंग पोर्टल पर लॉग इन करके एक संशोधित रिटर्न (Revised Return) दाखिल कर सकते हैं। अपनी आय के प्रकार के आधार पर सही फॉर्म चुनें और मूल रिटर्न की पावती संख्या और फाइलिंग की तारीख का उल्लेख करना न भूलें।
- अपडेटेड रिटर्न (Updated Return) फाइल करें (धारा 139(8A)): यदि आपका मूल रिटर्न नियत तारीख के बाद (यानी देरी से) फाइल किया गया था, तो आप उसे संशोधित नहीं कर सकते। हालांकि, आप एक अपडेटेड रिटर्न दाखिल कर सकते हैं। यह विकल्प संबंधित आकलन वर्ष के अंत से 48 महीनों के भीतर उपलब्ध होता है, लेकिन इसके लिए आपको अतिरिक्त टैक्स भी देना होगा।
एक छोटी सी गलती बड़ी समस्या में बदल सकती है। इसलिए, सही ITR फॉर्म का उपयोग करना बहुत ज़रूरी है। यदि आप सुनिश्चित नहीं हैं, तो किसी कर विशेषज्ञ से सलाह लेने में संकोच न करें। टैक्स के मामलों में जल्दबाजी करने के बजाय सही तरीके से काम करना हमेशा बेहतर होता है।