1100 करोड़ का सपना… अधूरा फ्लाईओवर… और सियासत के दो किनारे
जबलपुर | 12 जून 2025
जबलपुर शहर का सबसे बहुप्रतीक्षित फ्लाईओवर अब सिर्फ सीमेंट और सरियों की संरचना नहीं है, यह राजनीति का मंच बन गया है।
जहाँ एक तरफ भाजपा सरकार अधूरे कार्य का लोकार्पण न करने की दलील दे रही है, वहीं दूसरी ओर कांग्रेस जनता की बेचैनी और देरी को मुद्दा बना रही है।
बीच में खड़ी है जबलपुर की वो आम जनता – जो रोज़ जाम में फंसती है, धूल खाती है, और हर दिन यह सोचती है –
“क्या विकास सिर्फ वादों और नारों तक ही रहेगा?”
🚧 मंत्री राकेश सिंह का बयान – ‘काम अधूरा है, उद्घाटन का सवाल ही नहीं’
प्रदेश के लोक निर्माण मंत्री और जबलपुर से वरिष्ठ भाजपा नेता राकेश सिंह ने कांग्रेस नेताओं द्वारा जल्द लोकार्पण की मांग को खारिज करते हुए कहा –
“छुटभैयों की बातों का जवाब देना जरूरी नहीं। जो लोग अपने मोहल्ले की नाली नहीं बनवा पाए, वे अब फ्लाईओवर का श्रेय लेना चाहते हैं।”
उनका कहना है कि जब तक सौंदर्यीकरण, ट्रैफिक नियंत्रण, रैंप कनेक्शन और सुरक्षा जांच पूरी नहीं होती, तब तक उद्घाटन करना न केवल जल्दबाज़ी, बल्कि जनता के साथ धोखा होगा।
🗣️ कांग्रेस का पलटवार – ‘जनता का धैर्य जवाब दे रहा है’
मंत्री के ‘छुटभैया’ बयान का सीधा निशाना कांग्रेस नेता विनय सक्सेना उर्फ ‘छोटू भैया’ की ओर था, जो हाल के दिनों में लगातार फ्लाईओवर मुद्दे पर सक्रिय रहे हैं।
छोटू भैया ने पलटवार करते हुए कहा –
“हम जनता की आवाज़ उठा रहे हैं, तो हमें ‘छुटभैया’ कहा जा रहा है? ये अहंकार है या डर?”
उनका आरोप है कि सरकार उद्घाटन को जानबूझकर टाल रही है ताकि इसका श्रेय चुनावी समय पर लिया जा सके।
📸 सवाल जनता का – राजनीति कब रुकेगी, सुविधा कब मिलेगी?
जबलपुर का यह फ्लाईओवर न केवल ट्रैफिक जाम से मुक्ति देने के लिए बनाया जा रहा है, बल्कि यह शहर की नई पहचान भी बनने वाला है।
पर आज यह ठप काम, अधूरी रेलिंग, और धूल से भरे मार्ग के रूप में जनता को परेशान कर रहा है।
“हमने वोट सुविधा के लिए दिया था, उद्घाटन की राजनीति देखने के लिए नहीं।” – स्थानीय व्यापारी
📊 परियोजना की स्थिति (जून 2025 तक):
- कुल लागत: ₹1100 करोड़
- कार्य पूर्णता: लगभग 85%
- शेष कार्य: सिग्नलिंग, फिनिशिंग, सौंदर्यीकरण
- उद्घाटन तिथि: घोषित नहीं
🧭 दोनों पक्षों की ज़मीन कितनी पक्की?
मुद्दा | कांग्रेस का पक्ष | भाजपा का पक्ष |
---|---|---|
लोकार्पण की मांग | जनता परेशान, इंतज़ार लंबा हो गया | काम अधूरा है, जल्दबाज़ी नहीं |
श्रेय की लड़ाई | सरकार जनता के धैर्य से खेल रही है | कांग्रेस ने तो प्रोजेक्ट रोका था |
छोटू भैया की भूमिका | जनता की आवाज़, विपक्ष की ज़िम्मेदारी | मीडिया स्टंट, क्षेत्रीय विफल नेता |
🔍 जनता क्या चाहती है?
जनता का सीधा सवाल है –
“राजनीति दोनों तरफ से हो रही है, लेकिन जो रोज़ जाम में फंसा है, उसकी आवाज़ कौन बनेगा?”
फ्लाईओवर का उद्घाटन हो या ना हो, काम पूरा हो या अधूरा – लेकिन जब जनता विकास को राजनीतिक हथियार बनते देखती है, तो भरोसा टूटता है।
शायद अब वक्त आ गया है कि सियासी ‘छुटभैया’ शब्दों को छोड़, सभी नेता मिलकर ये तय करें:
“पहले सुविधा दो, फिर श्रेय लो।”