13 साल की बेटी ने मां की डांट का लिया ‘बदला’, 15 लाख की फिरौती मांग रचा खुद के अपहरण का ड्रामा

जबलपुर, 1 जुलाई, 2025: एक ऐसी घटना जिसने अभिभावकों को सोचने पर मजबूर कर दिया है! जबलपुर में एक 13 साल की नाबालिग बच्ची ने सिर्फ इसलिए अपने ही अपहरण का सनसनीखेज नाटक रच डाला, क्योंकि उसकी मां ने उसे मोबाइल, दोस्तों और लिपस्टिक जैसी चीजों के लिए टोका था। इस ‘किडनैपिंग ड्रामा’ में सातवीं क्लास में पढ़ने वाली इस बच्ची ने अपने ही परिवार से 15 लाख रुपये की फिरौती तक मांग ली। पुलिस ने हालांकि बच्ची को कुछ ही घंटों में सकुशल ढूंढकर परिजनों को सौंप दिया है, लेकिन यह मामला डिजिटल युग में बच्चों की बदलती मानसिकता और अभिभावकों के सामने खड़ी नई चुनौतियों का आईना बन गया है।


‘किडनैपिंग ड्रामा’ या डिजिटल युग का नया संकट? माँ की डांट बनी ‘बदले’ की वजह

यह घटना प्रियादर्शिनी कॉलोनी, खमरिया थाना क्षेत्र की है। बच्ची अपनी मां की मोबाइल के अत्यधिक इस्तेमाल, दोस्तों से बातचीत और सौंदर्य प्रसाधनों (जैसे लिपस्टिक) के उपयोग पर लगातार मिल रही टोका-टोकी से बुरी तरह नाराज़ थी। वह इस ‘नियंत्रण’ से एक महीने की ‘शांति’ चाहती थी। इसी ‘नाराज़गी’ ने उसे एक ऐसी खतरनाक साजिश रचने पर मजबूर कर दिया, जिससे पूरा परिवार सदमे में आ गया। इस घटना ने समाज में यह बहस छेड़ दी है कि क्या बच्चे अब अपनी इच्छाएँ मनवाने के लिए ऐसे गंभीर हथकंडे अपनाने लगे हैं?


जबलपुर पुलिस की ‘हाई-टेक’ पड़ताल: CCTV, ऑटो ड्राइवर…और एक ‘हैंडराइटिंग’ का राज़

रविवार दोपहर बच्ची अचानक घर से लापता हुई। परिजनों को उसके कमरे में हाथ से लिखा एक फिरौती नोट मिला, जिसने परिवार में हड़कंप मचा दिया। नोट में साफ तौर पर 15 लाख रुपये की मांग की गई थी, और धमकी थी कि रकम अगले महीने की 10 तारीख को बड़ी खेरमाई मंदिर पहुंचाई जाए, वरना बच्ची को नुकसान पहुंचाया जाएगा।

मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए, थाना प्रभारी सरोजनी चौकसे और सीएसपी सतीश साहू के नेतृत्व में जबलपुर पुलिस ने तुरंत मोर्चा संभाला। पुलिस ने बिना समय गंवाए:

  • सीसीटीवी फुटेज खंगालने शुरू किए।
  • इलाके के ऑटो चालकों से भी गहन पूछताछ की।
  • पुलिस की तेज़ कार्रवाई का ही नतीजा था कि कुछ ही घंटों में बच्ची को सदर के स्ट्रीट नंबर 7 से ढूंढ निकाला गया।

सबसे अहम मोड़ तब आया जब फिरौती के नोट की लिखावट का मिलान बच्ची की स्कूल की कॉपियों से किया गया। लिखावट हुबहू मिल गई! इस अचूक सबूत के सामने बच्ची के पास कोई बहाना नहीं बचा और उसने अपने ‘अपहरण’ की पूरी झूठी कहानी कबूल कर ली। पुलिस ने बच्ची को सकुशल परिजनों को सौंपकर राहत की सांस ली।


‘हर ख्वाहिश पूरी करना सही नहीं’: मनोवैज्ञानिक ने खोला बच्चों की ज़िद का राज़

इस घटना पर जाने-माने मनोवैज्ञानिक डॉ. रितेश कुरारिया ने गहन विश्लेषण किया है। डॉ. कुरारिया बताते हैं:

  • ‘ना’ से अनभिज्ञता: “आजकल माता-पिता बचपन में बच्चों की हर इच्छा पूरी कर देते हैं, जिससे बच्चा ‘ना’ सुनना नहीं सीख पाता। उन्हें लगता है कि उनकी हर बात माननी ही चाहिए।”
  • किशोरों में टकराव: “जब वही बच्चा किशोरावस्था (14-15 वर्ष) में पहुंचता है और अपने दोस्तों के पास महंगे गैजेट्स या लाइफस्टाइल देखकर वैसी ही मांग करता है, और माता-पिता ‘गैर-ज़रूरी’ मानकर मना करते हैं, तब उनमें आक्रोश और उत्तेजना जन्म लेती है।”
  • ‘अभाव’ की ज़रूरत: “डॉ. कुरारिया जोर देते हैं कि किशोरावस्था में कुछ ‘अभाव’ का होना भी बेहद ज़रूरी है। हर ख्वाहिश पूरी करना सही नहीं है।”
  • धैर्य और संघर्ष: “अभाव बच्चों में धैर्य, संघर्ष और जीवन की चुनौतियों का सामना करने की क्षमता विकसित करता है, जो उनके व्यक्तित्व निर्माण के लिए अमूल्य है।”

अभिभावकों के लिए ‘वेक-अप कॉल’: बच्चों की डिजिटल दुनिया और संवाद की चुनौती

यह घटना सभी अभिभावकों के लिए एक बड़ा ‘वेक-अप कॉल’ है। बच्चों की ‘आधुनिक’ ज़रूरतें और आकांक्षाएं बढ़ रही हैं, लेकिन उन्हें संयम, जिम्मेदारी और ‘ना’ को स्वीकार करने की आदत भी सिखानी होगी। बच्चों के साथ एक खुला और ईमानदार संवाद बनाए रखना बेहद ज़रूरी है, ताकि वे अपनी इच्छाओं और समस्याओं को गलत तरीकों से ज़ाहिर न करें। डॉ. कुरारिया के अनुसार, संतुलन और सही मार्गदर्शन ही आपके बच्चे को डिजिटल युग की चुनौतियों में सही राह पर रख सकता है।

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