जबलपुर की सड़कों पर आज इतिहास लिखा गया — लेकिन यह इतिहास इमारतों या पत्थरों का नहीं, बल्कि आस्था, आक्रोश और आत्मसम्मान का था। गायत्री बाल मंदिर की ज़मीन पर बनी विवादित मस्जिद को लेकर वर्षों से सुलग रही आग आज सड़क पर भभक उठी। विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल के नेतृत्व में आज मड़ई वीकल मार्ग पर कलेक्टर की प्रतीकात्मक अर्थी यात्रा निकाली गई — एक ऐसा दृश्य जिसे देखकर प्रशासन की चुप्पी भी काँप उठी।
‘कलेक्टर हटाओ, मंदिर बचाओ!’ के नारों से गूंज उठा जबलपुर
प्रदर्शन की शुरुआत मड़ई स्थित सरस्वती स्कूल से हुई, जहाँ सैकड़ों कार्यकर्ता भगवा ध्वज और बैनर लेकर जुटे। आगे एक लकड़ी की अर्थी थी — जिस पर सफेद चादर में लिपटा एक प्रतीकात्मक पुतला रखा गया था, जिसे “जबलपुर कलेक्टर” का नाम दिया गया। पूरे मार्ग पर “कलेक्टर हटाओ”, “मंदिर भूमि वापस दो”, “वक्फ का झूठ नहीं चलेगा”, और “जय श्रीराम” जैसे नारों की गूंज रही।
यह कोई साधारण विरोध नहीं था — यह वह सांकेतिक विद्रोह था जिसमें जनता ने सिर्फ मांगें नहीं रखीं, बल्कि अल्टीमेटम दिया।
24 घंटे का अल्टीमेटम: इस्तीफा दो, वरना जबलपुर बंद होगा
प्रदर्शन के दौरान मंच से VHP के महानगर प्रमुख, बजरंग दल विभाग संयोजक और अनेक स्थानीय संतों ने स्पष्ट शब्दों में चेतावनी दी:
“अगर 24 घंटे के भीतर जबलपुर कलेक्टर ने स्वेच्छा से इस्तीफा नहीं दिया, तो 15 जुलाई को सभी प्रखंडों में पुतला दहन और 16 जुलाई को पूरे महानगर में बंद किया जाएगा।”
प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि कलेक्टर ने अपनी फेसबुक पोस्ट के ज़रिए विवादित मस्जिद को वैध ठहराया और गायत्री बाल मंदिर के अस्तित्व को मिटाने की कोशिश की। यह सिर्फ प्रशासनिक हस्तक्षेप नहीं, बल्कि हिंदू आस्था पर हमला बताया गया।
भीड़ का आक्रोश, पुलिस की नज़ाकत
प्रदर्शन पूरी तरह शांतिपूर्ण रहा, लेकिन गंभीरता और गरिमा में कोई कमी नहीं थी। पुलिस बल पूरे मार्ग पर तैनात रहा, लेकिन किसी भी टकराव की नौबत नहीं आई। भीड़ में महिलाओं, बुज़ुर्गों, युवाओं और छात्रों की बड़ी संख्या थी — जिससे यह साफ हो गया कि यह सिर्फ संगठन की नहीं, जनता की लड़ाई बन चुकी है।
प्रशासन के आदेश और जनता का अविश्वास
बता दें कि बीती रात कलेक्टर कार्यालय द्वारा संयुक्त कलेक्टर का प्रभार बदलने का आदेश जारी किया गया था। परंतु प्रदर्शनकारियों ने उसे “सिस्टम बचाने की चाल” बताया।
उनका कहना था कि:
“प्रभारी बदले जा रहे हैं, मगर नीति वही है। जब तक प्रमुख व्यक्ति — यानी खुद कलेक्टर — इस्तीफा नहीं देते, आंदोलन थमेगा नहीं।”
🌩️ अंतिम चेतावनी या आंदोलन की शुरुआत?
प्रदर्शन की समाप्ति एक आम सभा से हुई, जहां फिर से ‘जय श्रीराम’ के घोष के साथ यह ऐलान हुआ कि यदि 24 घंटे में कोई ठोस निर्णय नहीं आया, तो अब सड़कों से विधानसभा तक आंदोलन पहुंचेगा। हिंदू संगठनों ने इस मुद्दे को “हिंदू स्वाभिमान की परीक्षा” बताया है और कहा है कि अब “समझौता नहीं, समाधान” चाहिए।