जबलपुर के मड़ई में भूमि विवाद बना आग का शोला: मंदिर की ज़मीन पर बनी मस्जिद को लेकर बजरंग दल का उग्र आंदोलन, कलेक्टर पर भड़का जनाक्रोश

जबलपुर के मड़ई क्षेत्र में धार्मिक आस्था, प्रशासनिक उदासीनता और काग़ज़ी सच्चाइयों के टकराव ने एक बार फिर मध्यप्रदेश की सामाजिक और राजनैतिक ज़मीन को हिला कर रख दिया है। गायत्री बाल मंदिर की पवित्र भूमि पर एक मस्जिद के अवैध निर्माण को लेकर वर्षों से चल रहा विवाद अब अपने सबसे उग्र मोड़ पर पहुँच चुका है।

मूल विवाद: मंदिर की ज़मीन पर बनी मस्जिद?

यह सारा मामला मड़ई स्थित उस मस्जिद से जुड़ा है, जो प्रशासनिक दस्तावेजों के अनुसार खसरा नंबर 169 पर स्थित है। लेकिन यहीं से विवाद की चिंगारी उठी — क्योंकि यह ज़मीन गायत्री बाल मंदिर के नाम पर राजस्व रिकॉर्ड में 1975 से दर्ज है। वहीं वक्फ बोर्ड के नाम पर दर्ज भूमि, जो खसरा नंबर 165 में स्थित है, मस्जिद की वर्तमान स्थिति से करीब 40 मीटर दूर बताई जा रही है।

विवाद का दर्दनाक पहलू यह है कि वक्फ के नाम महज 1000 वर्गफुट ज़मीन ही दर्ज है, जबकि मौजूदा मस्जिद लगभग 3000 वर्गफुट में फैली है। इसमें न केवल एक मस्जिद संचालित हो रही है, बल्कि दुकानों और एक अवैध मदरसे का संचालन भी सामने आया है। यही नहीं, प्रशासनिक सर्वेक्षण में शासकीय भूमि के हिस्से के भी मस्जिद में समाहित होने की बात सामने आ चुकी है।

तहसील रिपोर्ट से खुलासा, लेकिन फिर भी खामोश प्रशासन

नायब तहसीलदार द्वारा 29 अक्टूबर 2021 को दी गई रिपोर्ट में स्पष्ट लिखा गया है कि मस्जिद जिस ज़मीन पर बनी है वह उसके नाम पर दर्ज नहीं है। इसके बावजूद ना तो किसी प्रशासनिक अधिकारी ने कार्यवाही की, ना ही अवैध निर्माण पर कोई लगाम लगाई गई। इतना ही नहीं, कोर्ट में मामला लंबित होने और स्टे के बावजूद मस्जिद परिसर में लगातार निर्माण कार्य चलते रहे — और प्रशासन चुप बैठा रहा।

कलेक्टर के फेसबुक पोस्ट से भड़की आग

सारी स्थिति उस वक़्त और भी भड़क उठी जब 12 जुलाई को जबलपुर कलेक्टर ने अपने आधिकारिक फेसबुक अकाउंट से एक पोस्ट कर दिया जिसमें विवादित मस्जिद को वैध बताया गया। इस पोस्ट में गायत्री बाल मंदिर के अस्तित्व तक को नकारने की कोशिश की गई। जनता के बीच यह संदेश गया कि प्रशासनिक निर्णय पहले ही तय कर लिया गया है — कोर्ट की प्रक्रिया और स्थानीय भावना का कोई मूल्य नहीं बचा।

इस पोस्ट को लेकर जनता के बीच आक्रोश फैल गया। विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल ने इसे मंदिर विरोधी मानसिकता और हिन्दू भावनाओं पर हमला बताया। आंदोलन की चिंगारी अब शोला बन चुकी है।

कानूनी लड़ाई भी अधूरी

मस्जिद पक्ष ने हाईकोर्ट में WP/21354/2024 याचिका भी दायर की थी, लेकिन ज़रूरी कागज़ी प्रमाण न होने की वजह से उन्हें अपनी याचिका वापस लेनी पड़ी। इससे इस पक्ष की वैधता पर भी सवाल खड़े हो गए हैं।

बजरंग दल का उग्र आंदोलन: कलेक्टर की बर्खास्तगी की मांग

विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल ने इस मामले को लेकर जबरदस्त जनआंदोलन का ऐलान किया है। 14 जुलाई को मड़ई वीकल मार्ग पर कलेक्टर का अर्थी जुलूस निकाला गया, जो सरस्वती स्कूल से बस स्टैंड मड़ई तक चला।

15 जुलाई को जबलपुर विभाग के सभी 41 प्रखंडों में कलेक्टर का पुतला दहन किया जाएगा।
अगर 24 घंटे के भीतर प्रशासन ने कलेक्टर को हटाने की घोषणा नहीं की, तो 16 जुलाई को जबलपुर बंद का आह्वान किया जाएगा।

आस्था बनाम प्रशासन: अब जनता की बारी?

यह विवाद अब केवल भूमि और दस्तावेजों तक सीमित नहीं रहा। यह अब एक आस्था, पहचान और न्याय की लड़ाई बन चुकी है। प्रशासन का रवैया अगर इसी तरह एकतरफा और संवेदनहीन रहा, तो जनता की प्रतिक्रिया और भी उग्र हो सकती है। सवाल यह है कि क्या जबलपुर की ज़मीन पर न्याय सिर्फ कागज़ों में बचेगा, या जनता की आवाज़ भी सुनी जाएगी?

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *