भोपाल, 17 जून, 2025: मध्यप्रदेश पुलिस मुख्यालय ने एक बेहद कड़ा और दूरगामी आदेश जारी किया है, जिससे अब पुलिस बल में ‘दागदार’ वर्दी वाले अधिकारियों की मनमानी खत्म होगी। इस नए फरमान के बाद, उन सभी पुलिसकर्मियों की पदस्थापना खतरे में आ गई है, जिनके खिलाफ कोई आपराधिक प्रकरण लंबित है या गंभीर विभागीय जांच चल रही है। यह आदेश विशेष रूप से थानों, क्राइम ब्रांच और अन्य सार्वजनिक संपर्क वाले संवेदनशील पदों पर तैनात अधिकारियों को प्रभावित करेगा, जहाँ उनकी सीधी भूमिका जनता से जुड़ती है।
क्यों आया यह सख्त आदेश? पूर्व में नहीं हो रहा था नियमों का पालन
यह कठोर निर्णय यूं ही नहीं लिया गया है। पुलिस मुख्यालय ने खुद अपने ही पूर्व के दिशा-निर्देशों के पालन में हो रही भारी लापरवाही को स्वीकार किया है। पहले भी ऐसे नियम थे कि आपराधिक मामलों या विभागीय जांचों में घिरे पुलिसकर्मियों को संवेदनशील पदों से दूर रखा जाए, लेकिन देखने में आया है कि इन निर्देशों का कड़ाई से पालन नहीं हो रहा था।
इससे न केवल पुलिस बल की गरिमा और छवि को नुकसान पहुँच रहा था, बल्कि जनता का पुलिस पर भरोसा भी लगातार कम हो रहा था। भ्रष्टाचार, हिंसा और अवैध हिरासत जैसे गंभीर आरोपों का सामना कर रहे अधिकारियों का सीधे जनता से जुड़े पदों पर बने रहना, न्याय और निष्पक्षता पर बड़ा सवाल खड़ा कर रहा था। इसी स्थिति को बदलने और पुलिस प्रशासन में पारदर्शिता लाने के लिए यह नया, सख्त आदेश जारी किया गया है।
कौन होंगे प्रभावित? जानें किन मामलों में नहीं मिलेगी ‘संवेदनशील’ पोस्टिंग
पुलिस मुख्यालय द्वारा समस्त पुलिस आयुक्तों (इंदौर/भोपाल), समस्त पुलिस अधीक्षकों (रेल सहित), समस्त जोनल पुलिस महानिरीक्षकों और उप पुलिस महानिरीक्षकों को भेजे गए इस आदेश में स्पष्ट किया गया है कि निम्नलिखित श्रेणियों के पुलिसकर्मियों को थानों, क्राइम ब्रांच अथवा किसी अधिकारी के कार्यालय में कार्य हेतु तैनात नहीं किया जाएगा:
- आपराधिक प्रकरण में संलिप्त पुलिसकर्मी: वे पुलिसकर्मी जिनके विरुद्ध आपराधिक प्रकरण की विवेचना (जांच) चल रही है अथवा अभियोजन (मुकदमा) लंबित है।
- महत्वपूर्ण छूट: यह विशेष रूप से उल्लेख किया गया है कि दुर्घटना प्रकरणों में संलिप्त पुलिसकर्मियों को इस सूची में शामिल नहीं किया जाएगा। यानी, यदि किसी अधिकारी के खिलाफ सिर्फ दुर्घटना का मामला लंबित है, तो उस पर यह नियम लागू नहीं होगा।
- विभागीय जांच में संलिप्त पुलिसकर्मी: वे पुलिसकर्मी जिनके विरुद्ध भ्रष्टाचार, नैतिक अधोपतन (नैतिक पतन या अनैतिक आचरण), शारीरिक हिंसा एवं अवैध निरोध (किसी व्यक्ति को गैरकानूनी तरीके से हिरासत में रखना) जैसे गंभीर आरोपों पर विभागीय जाँच लंबित है।
सफाई अभियान का उद्देश्य: ‘खाकी’ पर लौटे जनता का विश्वास
इस आदेश को मध्यप्रदेश पुलिस के भीतर एक बड़े ‘सफाई अभियान’ के तौर पर देखा जा रहा है। इसका प्राथमिक उद्देश्य पुलिस की कार्यप्रणाली में अधिक निष्पक्षता, जवाबदेही और पारदर्शिता लाना है। गंभीर आरोपों का सामना कर रहे अधिकारियों को जनता से सीधे संवाद वाले पदों से हटाना न केवल संभावित दुर्व्यवहार को रोकेगा, बल्कि आम लोगों का पुलिस के प्रति विश्वास भी बढ़ाएगा।
पुलिस महानिदेशक द्वारा अनुमोदित इस आदेश में सभी इकाई प्रमुखों को निर्देश दिए गए हैं कि वे तत्काल अपनी इकाइयों में ऐसे सभी पुलिसकर्मियों की पहचान करें, उनके बारे में आवश्यक कार्यवाही करें और सहायक पुलिस महानिरीक्षक (कार्मिक) को इसकी रिपोर्ट ईमेल के माध्यम से भेजें। यह भी सुनिश्चित करने को कहा गया है कि भविष्य में भी इन निर्देशों का कड़ाई से पालन हो।
