जबलपुर, 30 जून, 2025: राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (NEET-UG) 2025 को लेकर चल रहे विवादों के बीच, मध्य प्रदेश हाई कोर्ट से हजारों छात्रों के लिए एक बड़ी उम्मीद बनकर उभरी है। उन छात्रों के चेहरों पर अब मुस्कान लौट सकती है, जिन्हें इंदौर और उज्जैन के परीक्षा केंद्रों पर बिजली गुल होने के कारण अंधेरे या बेहद कम रोशनी में परीक्षा देने को मजबूर होना पड़ा था। जस्टिस सुबोध अभ्यंकर की एकल पीठ ने अब नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) को इन प्रभावित छात्रों के लिए NEET-UG 2025 की परीक्षा दोबारा आयोजित करने का निर्देश दिया है। यह फैसला केवल एक न्यायिक आदेश नहीं, बल्कि उन छात्रों के संघर्ष और दृढ़ता की जीत है जिनकी मेहनत पर बिजली कटौती का साया पड़ गया था।
‘अंधेरा’ बना चुनौती, जज ने खुद महसूस किया छात्रों का दर्द
सोचिए, भविष्य तय करने वाली परीक्षा में आप बैठे हों और अचानक बिजली गुल हो जाए, घुप अंधेरा छा जाए! कुछ ऐसा ही हुआ था इंदौर और उज्जैन के उन सैकड़ों छात्रों के साथ, जिनकी शिकायत थी कि उन्हें पर्याप्त रोशनी के बिना ही अपने पेपर हल करने पड़े।
अदालत में सुनवाई के दौरान, जब छात्रों ने अपनी यह आपबीती सुनाई, तो न्यायाधीश ने छात्रों की बात को सिर्फ सुना ही नहीं, बल्कि महसूस करने का फैसला किया। एक असाधारण कदम उठाते हुए, बेंच ने कोर्टरूम की सारी बत्तियाँ बुझाने का निर्देश दे दिया! खुद अंधेरे में बैठकर न्यायाधीश ने यह समझा कि कैसे बड़ी-बड़ी खिड़कियों वाले कोर्टरूम में भी प्राकृतिक प्रकाश सीमित और डिम था। उन्होंने यह भी अनुमान लगाया कि परीक्षा केंद्रों में, जहाँ शायद उतनी बड़ी खिड़कियां न हों, छात्रों को कितनी असहनीय परेशानी का सामना करना पड़ा होगा।
न्यायालय ने अपने फैसले में साफ कहा कि यह छात्रों की कोई गलती नहीं थी, फिर भी उन्हें अनुचित रूप से नुकसान उठाना पड़ा। कोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) का हवाला देते हुए कहा कि ऐसी विषम परिस्थितियाँ अन्य केंद्रों पर या उसी केंद्र के कुछ छात्रों को नहीं झेलनी पड़ीं, जो स्पष्ट रूप से भेदभावपूर्ण था।
एनटीए को कड़ा संदेश: कौन दे पाएगा री-टेस्ट, काउंसलिंग पर क्या होगा असर?
कोर्ट के इस फैसले के बाद, अब नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) को उन छात्रों के लिए दोबारा परीक्षा का आयोजन करना होगा। यह सुविधा हालांकि हर किसी के लिए नहीं है, बल्कि सिर्फ उन याचिकाकर्ताओं को मिलेगी जिन्होंने 3 जून, 2025 तक, यानी अनंतिम उत्तर कुंजी जारी होने से पहले, अपनी याचिकाएं दायर कर दी थीं।
न्यायालय ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि इन छात्रों की नई रैंक पूरी तरह से दोबारा होने वाली परीक्षा के अंकों पर आधारित होगी। इसका मतलब है कि उनके पिछले परिणाम का कोई महत्व नहीं होगा। इसके अलावा, NEET-UG 2025 की पूरी काउंसलिंग प्रक्रिया भी इन री-टेस्ट परिणामों के अधीन होगी, जो एक निष्पक्ष और पारदर्शी चयन प्रक्रिया सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण है। यह आदेश उन छात्रों के लिए एक बड़ी साँस है जो अपने करियर को लेकर अनिश्चितता में थे।
न्याय की ‘रोशनी’: एक नजीर जो सिखाएगी जवाबदेही
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट का यह फैसला केवल कुछ छात्रों को न्याय दिलाने तक सीमित नहीं है। यह एक शक्तिशाली संदेश है उन सभी प्रशासनिक निकायों को, जो देश के युवाओं के भविष्य से जुड़े बड़े फैसले लेते हैं। यह आदेश एक महत्वपूर्ण नजीर बनेगा, जो भविष्य में किसी भी परीक्षा या प्रशासनिक प्रक्रिया में होने वाली चूक के लिए जवाबदेही तय करेगा। न्यायाधीश का छात्रों के दर्द को खुद महसूस करने का यह मानवीय प्रयास न्यायपालिका की उस संवेदनशील भूमिका को दर्शाता है, जहाँ कानून सिर्फ किताबों में नहीं, बल्कि जन-भावनाओं में भी जीवित रहता है।