‘मिठास’ में घुला ‘बदबूदार’ सच: रिछाई के श्रीराम स्वीट्स का लाइसेंस निलंबित, जन-स्वास्थ्य से खिलवाड़ का पर्दाफाश

बलपुर, 24 जून, 2025: जब बात मिठाई की आती है, तो मन में शुद्धता और स्वाद का एक मीठा एहसास उमड़ता है। लेकिन जबलपुर के इंडस्ट्रियल एरिया रिछाई स्थित श्रीराम स्वीट्स से आई खबर ने इस एहसास को कड़वाहट में बदल दिया है। यहाँ, मिठाइयां कथित तौर पर ऐसी अस्वच्छ परिस्थितियों में बनाई जा रही थीं, जिन्हें सुनकर ही पेट में गुड़गुड़ाहट होने लगे। अब खाद्य सुरक्षा प्रशासन ने कठोर कदम उठाते हुए इस प्रतिष्ठित दुकान का लाइसेंस तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है, जिससे यह सवाल खड़ा हो गया है कि आखिर कब तक जनता के स्वास्थ्य से खिलवाड़ होता रहेगा?


‘खुशबू’ के पीछे ‘बदबूदार’ नाले का सच: कैसे हुआ यह पर्दाफाश?

यह ‘कटु’ सत्य तब सामने आया जब खाद्य सुरक्षा अधिकारी देवेंद्र कुमार दुबे ने 21 जून को श्रीराम स्वीट्स के प्लॉट नंबर-81 पर अचानक निरीक्षण किया। जो सामने आया, वह किसी सदमे से कम नहीं था: दुकानें जिस ‘खुशबू’ के लिए जानी जाती हैं, उसके ठीक पीछे मिठाइयां बदबूदार नाली के समीप, घोर अस्वच्छ वातावरण में बनाई जा रही थीं। कल्पना कीजिए, आपकी पसंदीदा मिठाई उस जगह से चंद कदमों पर तैयार हो रही थी, जहाँ से बीमारियाँ पनप सकती हैं! निरीक्षण के दौरान प्रतिष्ठान संचालक मांगे गए ज़रूरी दस्तावेज़ भी उपलब्ध नहीं करा पाए, जिसने उनकी कार्यप्रणाली पर और भी सवाल खड़े कर दिए।


स्वास्थ्य से खिलवाड़ पर ‘ताला’: ‘लोक स्वास्थ्य’ के लिए सख्त कदम

खाद्य सुरक्षा प्रशासन, जबलपुर के अभिहित अधिकारी एवं अनुज्ञापन अधिकारी डॉ. संजय मिश्रा ने इस गंभीर मामले का संज्ञान लेते हुए तुरंत कार्यवाही का आदेश दिया। जन स्वास्थ्य के हित में, श्रीराम स्वीट्स का खाद्य लाइसेंस निलंबित कर दिया गया है। इसका सीधा मतलब है कि अब निलंबन की अवधि के दौरान यह प्रतिष्ठान किसी भी तरह के खाद्य पदार्थ का न तो निर्माण कर पाएगा और न ही उसकी बिक्री कर पाएगा। यह कार्रवाई एक स्पष्ट संदेश है कि मुनाफा कमाने के लिए जनता के स्वास्थ्य को दांव पर नहीं लगाया जा सकता।


विश्वास की डोर टूटी: आगे क्या?

हर ग्राहक एक दुकान पर भरोसा करके ही मिठाई या कोई भी खाद्य पदार्थ खरीदता है। श्रीराम स्वीट्स जैसी जानी-मानी दुकान से ऐसी खबरें आना वाकई ग्राहकों के विश्वास को तोड़ता है। यह घटना सिर्फ एक दुकान की नहीं, बल्कि खाद्य सुरक्षा प्रणाली में निरंतर निगरानी की आवश्यकता को भी दर्शाती है। अब देखना यह होगा कि इस निलंबन के बाद क्या प्रतिष्ठान अपनी कमियों को दूर कर फिर से जनता का विश्वास जीत पाता है, या यह सिर्फ एक चेतावनी भर बनकर रह जाएगा? उम्मीद है कि ऐसे कठोर कदम भविष्य में अन्य प्रतिष्ठानों को भी स्वच्छता और गुणवत्ता बनाए रखने के लिए प्रेरित करेंगे।

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